
जनसुविधा केंद्र की दुकान को बनाया गया पार्षद कार्यालय, RTI से सामने आया मामला
रायपुर। राजधानी रायपुर के बैजनाथपारा वार्ड में एक पूर्व कांग्रेस महापौर द्वारा नगर निगम की जनसुविधा केंद्र की दुकान में नियमों के विरुद्ध पार्षद कार्यालय संचालित करने का मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार (RTI) से मिली जानकारी के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नगर निगम प्रशासन को शिकायत भेजी है।
कानून क्या कहता है? निर्वाचित जनप्रतिनिधि नहीं बन सकते निगम हितग्राही
छत्तीसगढ़ नगर निगम अधिनियम के अनुसार, कोई भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि नगर निगम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ नहीं ले सकता और न ही किसी टेंडर प्रक्रिया में भागीदारी कर सकता है। पूर्व महापौर का यह कदम इस स्पष्ट नियम का उल्लंघन है।

जनसुविधा केंद्र में कैसे खोला गया पार्षद कार्यालय?
RTI से यह खुलासा हुआ है कि बैजनाथपारा वार्ड में स्थित जनसुविधा केंद्र की एक दुकान को, जो पुराना सुभाष स्टेडियम परिसर में स्थित है, पार्षद कार्यालय के रूप में उपयोग में लिया जा रहा है। यहां तक कि इस स्थान के पास एक जेनरिक दवा स्टोर भी स्थित है, जिससे यह एक सार्वजनिक परिसर बनता है।
किराए पर लेने का भी अधिकार नहीं – फिर अनुमति किससे मिली?
प्रश्न यह है कि अगर यह दुकान किराए पर ली गई है, तो किराया किससे लिया गया और आवंटन किसके आदेश से हुआ? यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। नगर निगम द्वारा जांच के बाद ही यह तय हो सकेगा कि किस नियम का उल्लंघन हुआ है और किन अधिकारियों की मिलीभगत रही।
भाजपा पार्षद और निगम प्रशासन मौन क्यों?
चौंकाने वाली बात यह है कि नगर निगम के सभापति, महापौर और भाजपा पार्षदगण इस अवैध कृत्य पर चुप हैं, जबकि वे उसी मार्ग से प्रतिदिन गुजरते हैं। अब जब RTI के ज़रिए सच्चाई सामने आई है, सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले को हर संबंधित विभाग तक पहुँचाने की तैयारी में हैं।
