
नई दिल्ली | जहां भारत में सांडे का तेल पारंपरिक औषधीय उपयोग के लिए जाना जाता है, वहीं सऊदी अरब में सांडा का मांस लोगों के लिए खास डिश बन गया है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दिखाया गया है कि बंगाली प्रवासी मजदूर सऊदी में सांडा बिरयानी बनाते हैं और उसे चाव से खाते हैं।
सांडा क्या है और क्यों है इतना चर्चित?
सांडा, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Uromastyx कहा जाता है, एक मोटी, शाकाहारी रेगिस्तानी छिपकली है। यह प्रजाति मुख्यतः मध्य पूर्व, सऊदी अरब और मिस्र के इलाकों में पाई जाती है। वहां के बेदुईन समुदायों में सांडे के मांस को पारंपरिक व्यंजन की तरह खाया जाता है, खासतौर पर त्योहारों और खास आयोजनों में।

कैसे बनती है सांडा बिरयानी? जानिए पूरी रेसिपी
1. शिकार और सफाई
रेगिस्तान से सांडे को पकड़कर उसकी आंतें, त्वचा और सिर हटाए जाते हैं।
2. मैरिनेशन
मांस को दही, हल्दी, अदरक-लहसुन पेस्ट और खास काब्सा मसालों (दालचीनी, लौंग, इलायची) में मेरिनेट किया जाता है।
3. पकाने की प्रक्रिया
एक प्रेशर कुकर में प्याज भूनकर मांस को टमाटर और पानी के साथ पकाया जाता है।
4. चावल की तैयारी और लेयरिंग
बासमती चावल को आधा पका कर, मांस के ऊपर परत दर परत रखा जाता है। ऊपर से भुने प्याज, बादाम और किशमिश डाले जाते हैं।
5. दम पर पकाना और परोसना
बिरयानी को ‘दम’ पर पकाकर, दक्कूस (टमाटर की चटनी) और दही के साथ परोसा जाता है।
हलाल है या हराम? क्या कहते हैं इस्लामी विद्वान
सांडा मांस के सेवन पर इस्लाम में कोई रोक नहीं है। शेख अस्सिम अल-हकीम जैसे प्रमुख विद्वानों के अनुसार, सांडा शाकाहारी होता है इसलिए हलाल है। हदीस में भी इसके सेवन को जायज माना गया है।
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वीडियो वायरल, खोफिल के बच्चे भी बने फैन
वायरल रेडिट पोस्ट और यूट्यूब व्लॉग्स में बंगाली मजदूरों को दिखाया गया है जो अपने सऊदी नियोक्ताओं (खोफिल) के लिए सांडा पकड़ते हैं और बिरयानी बनाकर परोसते हैं। यहां तक कि नियोक्ताओं के बच्चे भी सांडा बिरयानी के दीवाने हो गए हैं।
