मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक।
पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक॥
भिलाई [News T20] | महाकवि तुलसीदास के इस दोहे के हिसाब से देश के मुखिया यानी प्रधानमंत्री की खूबियों की परिभाषा कुछ ऐसी ही होगी… देश के हर नागरिक का सेहतमंद शरीर हो पर बीमारी होने पर ठीक करने के लिए अच्छे अस्पताल हों। कोविड जैसी महामारी से निपटने के उपाय हों, पर साथ ही महामारी रोकने के लिए हर हिंदुस्तानी के पास वैक्सीन का पर्याप्त इंतजाम हो। सबके पास खाना हो पर जो जरूरतमंद हों उन्हें अनाज देने की फिक्र मुखिया को हो।
अगर देश के लोगों को परेशानी हो तो मुखिया के पास उससे बाहर निकलने की उम्मीदों की रोशनी भी हो, और सबसे जरूरी कि देश अंदर खुशहाल हो पर बाहर बैठे दुश्मनों से निपटने के लिए देश की सेना के पास भरपूर साजो-सामान हो। कुल मिलाकर मतलब ये है कि देश के मुखिया का हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या से निपटने की तरफ ध्यान हो.जब मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन तमाम कसौटियों पर कसता हूं तो वो अपने कामकाज और विजन के लिहाज से काफी हद तक मुखिया की परिभाषा में फिट बैठते हैं।
पीएम मोदी का 72वां जन्मदिन देश के प्रशासनिक मुखिया के तौर पर उनके कामकाज को परखने का दिन है। साथ ही ये विश्लेषण करने का भी मौका है कि ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ के वादे पर वो कितने खरे उतरे हैं? पीएम मोदी पर बात करते वक्त अक्सर लोग उनकी बड़ी उपलब्धियों का खूब जिक्र करते हैं, लेकिन बारीक खूबियों और समस्या पकड़ने की उनकी क्षमता का उस तरीके से विश्लेषण नहीं होता जो होना चाहिए। दरअसल मोदी का व्यक्तित्व इतना शक्तिशाली है कि प्रशंसक और आलोचक दोनों उनकी शख्सियत में छिपे कई ऐसे पहलुओं को नजरअंदाज कर देते हैं जो आने वाले दिनों में देश के अंदर ऐसे सकारात्मक बदलाव करेंगे कि आने वाले सालों में उनपर बहुत चर्चा होंगी।
मैंने अपनी पत्रकारिता के लंबे करियर में कई प्रधानमंत्री देखे हैं पर उनके काम करने के तरीकों पर इतनी बहस कभी नहीं हुई जितनी मोदी की होती है. उसकी बड़ी वजह है कि पीएम मोदी के काम करने का तरीका बहुत ही व्यवहारिक है। वो फैसलों में टालू रवैये के सख्त विरोधी हैं और पूरी टीम को इसके लिए प्रेरित करते हैं। दशकों से सरकारों के काम करने का तरीका एक ढर्रे पर चल रहा था। पूरा सरकारी तंत्र मामले अटकाने के लिए किस कदर बदनाम था इसका अंदाज इस बात से लगाइए कि ये देश में आर्थिक सुधारों की नींव रखने वाले पूर्व पीएम नरसिंह राव की सरकार के बारे में तो चुटकुला मशहूर था कि इसमें सिर्फ डेढ़ लोग ही आर्थिक सुधारों के लिए गंभीर हैं। बाकी पूरी सरकार और नौकरशाही आर्थिक सुधारों को अटकाने, लटकाने और भटकाने में पूरी ताकत लगाते रहते हैं. इसी तरह राजीव गांधी ने तो पीएम रहते हुए ही खुलेआम ये माना था कि केंद्र की योजनाओं की 85 परसेंट रकम नीचे पहुंचते-पहुंचते भ्रष्टाचार में साफ हो जाती है. सिर्फ 15 परसेंट ही जमीन तक पहुंच पाती है।
ये बात और है कि सिस्टम की खामियां जानने के बाद भी राजीव ने भ्रष्टाचार का लीकेज रोकने की असरदार कोशिश नहीं की. उल्टे उन पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लग गए थे। लेकिन पीएम मोदी ने अब तक के कार्यकाल में दिखाया है कि टेक्नोलॉजी और व्यवहारिक योजनाएं बनाकर केंद्र की योजनाओं में भ्रष्टाचार का लीकेज रोका जा सकता है। मोदी सिर्फ योजनाओं का शिलान्यास नहीं करते बल्कि पूरा होने तक उन पर लगातार निगरानी भी रखते हैं इससे उनके साथ काम करने वाले मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट को भी उतना ही सजग और अलर्ट रहना पड़ता है।
मोदी का टीम सिलेक्ट करने का सबसे बड़ा सिद्धांत है, जो परफॉर्म करे और आउट ऑफ द बॉक्स आइडिया (हटकर सोचने वाले) लाए वही चलेगा. पीएम मोदी के 8 साल के कार्यकाल में कई ऐसे फैसले और काम हुए हैं जो आजादी के बाद कभी नहीं हुए। लेकिन बड़े फैसलों की छाया में कई ऐसे क्रांतिकारी सुधारों पर लोगों की नजर कम जाती हैं जो दरअसल आने वाले सालों-साल के लिए विकास की ठोस बुनियाद रख चुके हैं।
जैसे स्वच्छता अभियान सोचिए 70 सालों में किसी सरकार, किसी प्रधानमंत्री का ध्यान स्वच्छता जैसी सबसे बुनियादी जरूरत की तरफ क्यों नहीं गया। ऐसी ढेरों बातें हैं जिनपर विकसित भारत की बहुत मजबूत इमारत तैयार हो रही है, मैं उनमें से 5 बड़े बदलाव का जिक्र करूंगा। क्योंकि ये हर हिंदुस्तानी की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सेहत को समृद्ध करने में गेमचेंजर होंगे।
1. सेहतमंद भारत –
पीएम मोदी की तरह सेहत और स्वास्थ्य की तरफ किसी दूसरे प्रधानमंत्री ने इतना ध्यान नहीं दिया है. कोविड जैसी महामारी ने पीएम मोदी के रास्ते में चुनौतियां भी खड़ी कीं. लेकिन मोदी ने दबाव में आने के बजाए इसे चैलेंज के तौर पर लिया और इसका नतीजा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले 8 साल में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं.
A) अस्पतालों का निर्माण:
कुछ सालों पहले तक कोई भी जटिल बीमारी होने पर दूरदराज के लोगों को भागकर दिल्ली के एम्स जैसे अस्पताल में आना पड़ता था. पूरे देश में सिर्फ 7 एम्स थे उनमें ज्यादातर में या तो डॉक्टरों या मशीनों की कमी थी. पीएम मोदी ने सबसे पहले लोगों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए देश भर में एम्स खोलने की नीति पर काम शुरू किया।
B) डॉक्टर:
अत्याधुनिक अस्पताल के लिए दक्ष डॉक्टरों और सपोर्ट-स्टाफ की कमी ना हो इसके लिए मोदी की पहल पर मेडिकल पढ़ाई के कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का प्लान तैयार करवाया गया। इस अभियान में अंडरग्रैजुएट की मेडिकल सीटें जो 2014 से पहले सिर्फ 51 हजार थीं वो अब 80 परसेंट की बढ़ोतरी के साथ करीब 90 हजार हो गई हैं. इसी तरह स्पेशियलिस्ट डॉक्टर के लिए पोस्टग्रैजुएट सीटों की तादाद भी करीब 95 परसेंट बढ़ा दी गई है.
C) कैंसर का सस्ता इलाज:
मोदी की पहल से कैंसर जैसे रोग का इलाज सस्ता हो गया है. इसके लिए देश भर में खास जन-औषधि स्टोर खोले गए. अब देश के 700 जिलों में करीब 9000 जन औषधि केंद्र खुले हैं, जिनमें कैंसर की दवाओं समेत 1600 से ज्यादा जीवनरक्षक दवाएं और 250 से ज्यादा सर्जिकल आइटम 60 परसेंट तक सस्ते दाम में दिए जा रहे हैं.
D) कोरोना से मुकाबला और पूरे देश को स्वदेशी वैक्सीन:
कोरोना काल में आए संकट को देश नहीं भूला होगा, लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ी बात पहली बार हुई कि देश ने जिस आत्मविश्वास के साथ इतनी बड़ी ग्लोबल महामारी का मुकाबला किया, वो अभूतपूर्व है. ये काम बहुत मुश्किल था। महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को जारी रखने के साथ उनका विस्तार करना सबसे बड़ी चुनौती थी. कोविड को रोकने के लिए वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार था. ऐसे में देश ने पहली बार विदेशी कंपनियों की मदद लिए बगैर विशुद्ध देसी वैक्सीन तैयार कीं फाइजर और मॉडर्ना जैसी विदेशी कंपनियों ने अपनी वैक्सीन को देने के लिए ऐसी शर्तें रखीं जिससे देश की संप्रभुता को खतरा था। विपक्षी दल जब मुश्किल समय में पीएम मोदी को ताने मार रहे थे, तब मोदी देश के सभी लोगों तक स्वदेशी टीके पहुंचाने के मिशन पर लगे थे.
पूरी दुनिया इस बात से हैरान है कि भारत ने रिकॉर्ड डेढ़ साल में ही अपनी करीब-करीब पूरी आबादी को असरदार स्वदेशी वैक्सीन का डोज दिलवा दिया. भारत से कम आबादी और मजबूत हेल्थ इंफ्रा वाले अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश अभी तक ये मुकाम हासिल नहीं कर पाए हैं.
E) सबको स्वास्थ्य बीमा:
आयुष्मान भारत योजना में 4 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज मिल चुका है. इसी तरह आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन बहुत कामयाब रहे हैं. आयुष्मान हेल्थ मिशन के जरिए अब तक 22 करोड़ से ज्यादा लोग फायदा उठा चुके हैं। बच्चे सेहतमंद हों इसके लिए गर्भवती महिलाओं के लिए मिशन इंद्रधनुष योजना बच्चों को सेहतमंद और बीमारी मुक्त रखने की पीएम की सोच का नतीजा है।
मोदी का इस बात के लिए लगातार जोर रहता है कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कैसे लोगों तक फायदा पहुंचाया जाए. जैसे हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और ई-संजीवनी ओपीडी योजना से 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के जरिए पूरे देश में लोगों को घर के करीब ही स्पेशियलिस्ट मिल रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री इस बात पर भी जोर देते हैं कि शरीर को निरोगी रखा जाए ताकि अस्पताल जाने की जरूरत ही ना पड़े. इसके लिए मोदी ने खुद ही योग करने की प्रेरणा पूरे देश को दी है।
उनकी कोशिशों ने योगा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय कर दिया है. मोदी एक तरह से योग के ब्रांड एम्बेडर के तौर पर देखे जाने लगे हैं और इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये हुआ कि योग करने वाले बहुत बढ़े हैं. हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
2. मजबूत ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर –
आत्मनिर्भर, आत्मविश्वास से भरपूर, सक्षम और शक्तिशाली देश के लिए जरूरी है हर तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत जाल हो. यही वजह है कि मोदी लगातार नए-नए एक्सप्रेसवे की योजनाओं को तरजीह दे रहे हैं. पीएम का दफ्तर हर सड़क के निर्माण पर नजर रख रहा है, ताकि तय वक्त में प्रोजेक्ट बनकर तैयार रहें. मोदी की खासियत है कि वो प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने की तारीख तय होते ही अफसरों से प्रोजेक्ट के उद्धाटन की तारीख भी तय करने को कहते हैं. यही वजह है कि बहुत से प्रोजेक्ट तय वक्त से पहले भी तैयार हुए हैं. मोदी के विकास फोकस एजेंडे के कुछ उदाहरण हैं-
मनमोहन सरकार के समय जहां सालाना 1435 किलोमीटर एक्सप्रेस का निर्माण हो रहा था, वो अब बढ़कर करीब 4000 किलोमीटर सालाना हो गया है। मोदी की सबसे बड़ी खूबी है कि एक बड़े काम के चक्कर में दूसरे कामों की अनदेखी उनसे नहीं होती। जैसे सड़क इंफ्रा पर युद्धस्तर पर काम हो रहा है तो रेल, हवाई और यहां तक कि जल से जुड़े इंफ्रा दुरुस्त करने की तरफ उनकी नजर बनी हुई है।
जैसे रेलवे में माल ढुलाई को स्पीड मिली तो यात्रियों को भी स्पीड के साथ वर्ल्ड क्लास यात्रा का अनुभव मिले इसके लिए उन्होंने रेल मंत्रालय को काम पर लगा रखा है। तभी तो बेहतरीन रेलवे स्टेशन तैयार हो रहे हैं. साथ ही देश में ही बनी वंदेभारत जैसी हाईस्पीड ट्रेन भी चालू हो गई है। अगले दो साल में देश में ऐसी 75 वंदेभारत ट्रेन चलेंगी, जिनसे कई शहरों की दूरी में लगने वाला वक्त 40 परसेंट तक कम हो जाएगा है. मोदी की खूबी यही है कि वो जबरदस्त मोटीवेशनल स्पीकर हैं। जो बात वाकई में लोगों को प्रेरणा देती है वो ये है कि मोदी ना सिर्फ आइडिया देते हैं बल्कि उसे हकीकत बनाने में पूरी ताकत भी लगा देते हैं। जैसे मोदी जब गुलामी की सभी यादों और प्रतीकों को हटाने की बात करते हैं तो वो सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं होता।
जैसे देश में संसद की नई विशालकाय बिल्डिंग बन रही है, जो आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से भरे नए भारत का प्रतीक होगी. राजपथ को नए कर्तव्यपथ में बदल देना भी इसी का एक हिस्सा है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की स्थापना भी देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने का एक और बड़ा कदम है कि हम देश का मान रखने वाले महान बलिदानी विभूतियों का आदर करना जानते हैं।
3. मजबूत इकोनॉमी –
आंकड़ों के लिहाज से भी दुनिया भारत का लोहा मानने लगी है. मोदी के कार्यकाल में भारत फिर ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. तमाम विकास की योजनाओं के बीच भारत को स्टार्टअप हब बनाने के लिए पीएम मोदी हमेशा दो कदम आगे रहते हैं। स्टार्टअप मामले में भी भारत दिग्गज आर्थिक ताकतों के स्तर पर खड़ा हो गया है. अनुमान है कि 2022 खत्म होते होते 50 से ज्यादा देशी स्टार्टअप यूर्निकॉर्न क्लब में शामिल होंगे। स्टार्ट अप की भाषा में यूनिकॉर्न ऐसी कंपनियां होती हैं जिनका वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से ज्यादा होता है।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक भारत की ग्रोथ स्टोरी को लेकर पूरी दुनिया को भरोसा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और आर्थिक सुधारों को लेकर उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनली ने अनुमान लगाया है कि इस वित्तीय साल में भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ एशिया में सबसे ज्यादा रहेगी और उसकी इकोनॉमी फर्राटा दौड़ लगाने को तैयार है।
4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का बढ़ता रसूख –
भारत के पक्ष में सबसे अच्छी बात ये हुई है कि पीएम मोदी की विदेश नीति का असर खुलकर दिखने लगा है. मोदी जब लगातार बिना रुके बिना थके दुनिया के तमाम देशों से रिश्ते सुधारने में लगे थे तो उनके विरोधी ताना मारने में लगे थे. पर मोदी की मेहनत के अच्छे नतीजे अब दिखने लगे हैं।
यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया की बड़ी शक्तियां दो हिस्सों में बंट गई हैं. पूरा यूरोप ऊर्जा के संकट से परेशान है, लेकिन भारत के पक्ष में सबसे अच्छी बात ये हुई है कि रूस और अमेरिका दोनों ने भारत की ही शर्तों पर लगातार आर्थिक संबंध मजबूत करने पर जोर दिया है। एक और पड़ोसी मुल्क चीन भी भारत के बढ़ते रसूख से बैचेन है, लेकिन उसके पास शिकायतें करने के अलावा कुछ खास नहीं है।
मोदी विरोध देश विरोध नहीं होना चाहिए –
पीएम मोदी अक्सर अपने विरोधियों से कहते हैं मेरा विरोध कीजिए पर ध्यान रखिए उसके चक्कर में देश का विरोध मत कीजिए। आलोचक भी मानते हैं कि आजाद भारत में मोदी की टक्कर का कम्युनिकेटर शायद कोई नहीं है।
तभी तो पीएम मोदी को मालूम है कि कौन सा काम सरकारी मशीनरी से होगा और किस काम को जन-आंदोलन बनाकर सफल किया जा सकता है। जैसे हर घर तिरंगा, स्वच्छता अभियान, गैस सब्सिडी छोड़ो अभियान, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की जबरदस्त सफलता जनभागीदारी का सबसे बड़ा नमूना है।
दूसरे पीएम से अलग –
मोदी की एक और खूबी उन्हें खास बनाती है कि ब्यूरोक्रेसी पर उनका पूरा नियंत्रण है. ज्यादातर नेता अक्सर ब्यूरोक्रेसी को कामकाज में रुकावट और फैसलों में देरी की वजह बताते हैं।
लेकिन मोदी उन्हीं ब्यूरोक्रेट से दूनी रफ्तार से काम करा लेते हैं। 2014 में पीएम बनकर आए मोदी ने बहुत कम समय में ही केंद्र की प्रशासनिक मशीनरी में पूरी पकड़ बना ली। उन्होंने सबकी जिम्मेदारी तय की लेकिन ये सुनिश्चित भी किया कि हर फैसले पर उनकी पैनी निगाहें होंगी. इसका नतीजा ये हुआ कि ना तो मंत्री मनमानी कर पाते हैं और ना ही नौकरशाही।
5. सालों-साल शिखर पर रहकर भी बेदाग –
देश का शायद ही कोई पीएम या सीएम होगा जिस पर या उनकी सरकारों पर पक्षपात या भ्रष्टाचार के आरोप न लगे हों. लेकिन मोदी 8 साल से प्रधानमंत्री हैं, और 13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। 21 साल तक इतने ऊंचे पदों पर रहने के बावजूद मोदी पर कोई दाग नहीं लगा है। जब कोविड की वजह से छाई निराशा में दुनिया के कई देशों के नेताओं की लोकप्रियता में भारी कमी आई तब भी मोदी जनता से डिस्कनेक्ट नहीं हुए. उनकी लोकप्रियता लगातार शिखर पर रही।
मोदी को उस डॉक्टर जैसा भरोसा हासिल है कि जो सेहत दुरुस्त करने के लिए अगर कड़वी दवा भी दे तो भी लोग पूरे भरोसे के साथ उसे खा लेते हैं। मोदी पर महान अर्थशास्त्री और राजनीतिक गुरु चाणक्य यानी कौटिल्य की परिभाषा फिट बैठती है। “राजा वो है जिसकी खुशी जनता की प्रसन्नता में बसती हो, लोगों के कल्याण को वो अपना कल्याण समझता हो। बड़ी बात ये नहीं कि वो लंबे वक्त तक राज करे बल्कि असली राजा वो है जिसके काम से खुश होकर खुद लोग ही यही चाहें कि वो सालों साल उनका राजा रहे ”