वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर विपक्ष के हमलों का करारा जवाब दिया. बजट 2024 पेश होने के बाद से विपक्ष इस मुद्दे पर हमलावर रहा है कि बजट में सभी राज्‍यों का ध्‍यान नहीं रखा गया है. इस पर एक दिन पहले लोकसभा में जवाब देने के बाद आज बुधवार को वित्‍तमंत्री राज्‍यसभा में भी अपनी बात रखी. उन्‍होंने कहा कि बजट भाषण में किसी राज्‍य का नाम नहीं लेने का मतलब ये नहीं कि उन राज्‍यों को पैसा नहीं मिला है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में कहा कि बजट में आर्थिक वृद्धि, रोजगार, पूंजी निवेश और राजकोषीय मजबूती के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया गया है. उन्होंने विपक्ष पर दुष्प्रचार करने का भी आरोप लगाया. कहा कि बजट भाषण में किसी राज्य का नाम नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है. सीतारमण ने राज्यसभा में बजट 2024-25 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बजट में हर राज्य के लिए धन का आवंटन किया गया है.

राज्‍यों को मिले करीब 23 लाख करोड़

सीतारमण ने कहा, ‘बजट में आर्थिक वृद्धि, रोजगार, पूंजी निवेश और राजकोषीय मजबूती के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया गया है. इस बार बजट में सहकारी संघवाद पर जोर है. वित्त वर्ष 2024-25 में राज्यों को 22.91 लाख करोड़ रुपये दिए गए जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.49 लाख करोड़ रुपये अधिक हैं. लिहाजा अगर बजट भाषण में किसी राज्य का नाम नहीं है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसके लिए बजट में कोई आवंटन नहीं है.

विपक्ष को याद दिलाया इतिहास 

वित्‍तमंत्री ने कहा, अगर पीछे के बजट पर गौर किया जाए तो संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार ने भी अपने बजट भाषण में सभी राज्यों के नामों का उल्लेख नहीं किया था. 2004-05 के बजट में 17 राज्यों का नाम नहीं लिया गया. वहीं 2009-10 के पूर्ण बजट में 28 राज्यों का नाम नहीं था. अन्य बजट में भी कई राज्यों का उल्लेख नहीं था, तो क्या उन राज्यों को पैसा नहीं मिला. पिछले 10 साल में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का पूंजीगत व्यय 43.82 लाख करोड़ रुपये रहा जो एक दशक पहले संप्रग शासन के दौरान 13.19 लाख करोड़ रुपये था.

राजकोषीय घाटा कम करने का लक्ष्‍य

वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. चालू वित्त वर्ष में इसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है. अगले वित्त वर्ष 2025-26 तक हम इसे 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना चाहते हैं. वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा 5.6 प्रतिशत था. सीतारमण ने कहा कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए बजट में 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष से 8,000 करोड़ रुपये अधिक है.

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *