
दुर्ग से बड़ा खुलासा
दुर्ग। मंत्रालय में चपरासी और बाबू की नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने अब तक 12 लोगों से करीब 70 लाख रुपए हड़प लिए। यह मामला अंजोरा थाना क्षेत्र का है।
नौकरी दिलाने के नाम पर ऐंठे लाखों
जानकारी के अनुसार आरोपी भेषराम देशमुख, जो दुर्ग वेटरनरी कॉलेज में कर्मचारी रह चुका है, रिटायरमेंट के बाद ठगी का धंधा शुरू किया। उसने अपने बेटे रविकांत देशमुख के साथ मिलकर चपरासी के लिए 2.50 लाख और बाबू के लिए 4 लाख रुपए लेकर लोगों को नौकरी का झांसा दिया। धोखाधड़ी से मिली रकम से दोनों ने कुथरेल गांव में जमीन खरीदी।

मास्टरमाइंड अब भी फरार
पुलिस जांच में पता चला कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड अरुण मेश्राम (राजनांदगांव निवासी) है, जो फिलहाल फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
शिकायत के बाद खुला राज़
बालोद जिले के ग्राम चिरवार निवासी संतराम देशमुख ने 3 सितंबर 2025 को अंजोरा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने मंत्रालय में पहचान का हवाला देकर उनके बेटे और दामाद को नौकरी का आश्वासन दिया और दस्तावेजों के साथ 5 लाख रुपए ले लिए। लेकिन नौकरी न लगने और पैसे न लौटाने पर उन्हें ठगी का पता चला।
पुलिस ने ऐसे दबोचा
शिकायत के बाद अंजोरा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और आरोपी भेषराम व उसके बेटे रविकांत को दुर्ग बस स्टैंड से गिरफ्तार किया। पूछताछ में दोनों ने ठगी की बात कबूल की और बताया कि उन्होंने अब तक 12 से अधिक लोगों को झांसा देकर करीब 70 लाख रुपए ऐंठे।
ठगी की रकम से खरीदी जमीन
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्हें कुल 20 लाख रुपए का हिस्सा मिला था। इसमें से 12 लाख रुपए में उन्होंने कुथरेल गांव में प्लॉट खरीदा, जबकि बाकी रकम खर्च कर दी।
पुलिस की अगली कार्रवाई
पुलिस ने पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और फरार आरोपी अरुण मेश्राम की तलाश तेज कर दी है। साथ ही, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि अब तक कितने और लोग इस नेटवर्क के शिकार बने हैं।
