बिलासपुर। अपने क्षद्म स्वार्थ के लिए पार्षद हकीम द्वारा रतनपुर टीआई के सहयोग से पॉक्सो एक्ट में फंसाकर जेल भेजी गई पीड़िता की माँ के लिए सोमवार का दिन सुखद रहा सर्व समाज के मोर्चा खोलने से हरकत में आई पुलिस ने जमानत में आपत्ति नही की साथ ही पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह द्वारा बनाई गई जाँच समिति ने मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंप दी रिपोर्ट में बिंदुओं के आधार पर मामले की संदेहिया को जमानत मिल गयी ।
वही इस गंभीर मामले मे लापरवाही बरतने पर तत्कालीन टीआई को निलंबित कर दिया गया है इसके पहले उन्हें लाइन अटैच किया गया था साथ ही कोटा एसडीओपी बघेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है झूठी एफआईआर करवाकर पीड़िता की माँ को जेल भेजने और रतनपुर में माहौल खराब करने वाले पार्षद हकीम व उसके सहयोगियो पर ठोस पुलिसिया कार्यवाही किए जाने की मांग शुरू हो गई है ।
एसपी संतोष सिंह ने रतनपुर मामले में विभिन्न संगठनों के ज्ञापन और मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल देव के नेतृत्व में संपूर्ण तथ्यों व घटनाक्रम की निष्पक्षता से जांच हेतु एक टीम गठित किया था। जिसने अपनी जांच रिपोर्ट कल पुलिस अधीक्षक को सौप दी । सोमवार को अदालत में लगे जमानत आवेदन पर पुलिस प्रतिवेदन के साथ मामले के विवेचक द्वारा एएसपी के जांच बिंदुओं को भी शामिल किया था, जिसमें मामले की संदेहिया को जमानत दिए जाने का पक्ष लिया गया।
पुलिस की तरफ से अभियोजन के वकील ने कोर्ट को मामले के जांच में प्रार्थी के आरोपों में विरोधभास पाया जाना बताया। उन्होंने पुलिस की तरफ से जमानत पर कोई आपत्ति होना नहीं बताया। साथ ही जांच में कृष्णकांत सिंह, तत्कालीन टीआई रतनपुर की लापरवाही पाई गई । रिपोर्ट के आधार पर पुलिस अधीक्षक द्वारा कृष्णकांत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। यद्यपि जांच आदेशित करते ही कृष्णकांत सिंह को लाईन अटैच किया गया था। पृथक से पुलिस अधीक्षक द्वारा एसडीओपी सिद्धार्थ बघेल को जो उस समय थाने में उपस्थित थे, उनके द्वारा भी वरिष्ठ अधिकारियों को सम्पूर्ण तथ्यों की जानकारी से अवगत न कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है।
पाक्सो मामले में पीड़िता की माँ को मिली जमानत –
सोमवार को रतनपुर में दुष्कर्म पीड़िता की मां को पॉक्सो के मामले में विशेष न्यायधीश ने सुनवाई करते हुए 15 हजार रुपये के बांड पर जमानत मंजूर किया। अदालत का आदेश आते ही कोर्ट परिसर में मौजूद पीड़िता के परिजनों व हिंदूवादी संगठनों में खुशी की लहर फैल गई। मामले में जमानत के लिए सुनवाई पॉक्सो मामलों की विशेष न्यायाधीश स्मिता रत्नावत की अदालत में हुई।पीड़िता की मां की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि जमानत के लिए जिस आरोपिया / प्रार्थियां की जमानत लगाई गई है वो 20 वर्षो से आंगनबाड़ी में कार्यरत हैं, बावजूद इसके इस तरफ बच्चो के शोषण की कोई शिकायत आज तक नहीं आई। साथ ही यह महिला की बेटी की एफआईआर के चलते दबाव बना समझौते के लिए काउंटर एफआईआर की गई।
पीड़ित बालक के मौसी के लड़के के ऊपर ही महिला की बेटी ने एफआईआर दर्ज करवाई थी, इसलिए बदले की भावना से दस वर्षीय बालक को आगे रख एफआईआर कर ली गई। साथ ही एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही आफताब मोहम्मद के घर वाले समझौते के लिए महिला व उसके परिवार पर दबाव बना रहे थे, जिसकी भी शिकायत थाने में की गई थी। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं किया। साथ ही शिकायत की कॉपी लगाई गई। बच्चे की सीडब्ल्यूसी से काउंसलिंग करवाये बिना एफआईआर दर्ज की गई है। सारे तर्कों को सुनने के पश्चात विशेष न्यायाधीश ने 15 हजार के बॉन्ड पर जमानत मंजूर कर ली।