भिलाई: सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेस विभाग में 16 मई 2024 को पाली एवं कर्म शिरोमणि पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ‘जनवरी से मार्च‘ 2024 तिमाही के लिए प्रबन्धक मयंक वर्मा को पाली शिरोमणि पुरस्कार तथा मार्च 2024 के लिए सुनाराम टुडु एवं राजकुमार त्यागी एवं अप्रैल 2024 के लिए बिसर्जन पटेल व मुन्नाराम ध्रुव को कर्म शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कृत कार्मिकों को प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह एवं उनके जीवन साथी के लिए एक प्रशंसा पत्र भी प्रदान किया गया।
इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस) सौम्य तोकदार ने विषम परिस्थितियों में सभी सुरक्षा मानकों का पालन करने हुए विभाग में उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शन करने के लिए सभी पुरस्कृत कार्मिकों को बधाई दी एवं भविष्य में भी इसी प्रकार कार्य करने तथा अपने सहकर्मियों को भी प्रोत्साहित करने का आव्हान किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में सहायक महाप्रबंधक (कार्मिक) बीजू जॉर्ज ने सभी पुरस्कृत कर्मचारियों को बधाई दी एवं शिरोमणि पुरस्कार योजना के बारे में बताते हुए कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य, अपने कार्य स्थल में सुरक्षा के मानक मापदंडो के साथ संसाधनों के बेहतर उपयोग एवं संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले कार्मिकों को सम्मानित करना है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना के तहत अब तक ब्लास्ट फर्नेस विभाग के 22 अधिकारियों को पाली शिरोमणि तथा 128 कार्मिकों को कर्म शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
समारोह में महाप्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस-प्रचालन) राजेश गायकवाड़, महाप्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस-विद्युत) गुज्जू श्रीनिवास, महाप्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस-8) आर आनंद, वरिष्ठ प्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस) अभिजीत चौधरी, वरिष्ठ प्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस) राकेश शर्मा, वरिष्ठ प्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस) विनोद दास, प्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस) मुकेश शर्मा तथा अन्य विभागीय कर्मचारीगण उपस्थित थे। उपस्थित सभी वरिष्ठ अधिकारीगणों ने भी अपने-अपने सम्बोधन में सभी पुरस्कार विजेताओं के द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों की सराहना करते हुए उनके साथ अपने कार्यानुभवों को साझा किया और उन्हें बधाई दी।
कार्यक्रम का संचालन कनिष्ठ अधिकारी (कार्मिक) मदन मोहन श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में अतिरिक्त श्रमकल्याण अधिकारी सोहील अहमद तथा श्रीमती ममता एवं श्रीमती दिव्यांका का विशेष योगदान रहा।