प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में कथित कोयला लेवी घोटाले को लेकर दाखिल किए गए पूरक आरोपपत्र में दावा किया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दफ्तर में तैनात रहीं उप सचिव सौम्या चौरसिया से जुड़ाव के चलते इस प्रकरण के सरगना सूर्यकांत तिवारी सूबे की नौकरशाही में काफी प्रभाव रखते थे। रायपुर की विशेष अदालत में सोमवार को दाखिल पूरक आरोपपत्र में कहा गया है।
कि ईडी ने जांच में पाया कि तीन आईपीएस अधिकारी कोयला व्यापारी तिवारी के अधीन काम कर रहे थे। यही नहीं ये अधिकारी सूर्यकांत तिवारी और चौरसिया से ‘गैर कानूनी’ निर्देश ले रहे थे। ईडी की जांच उस कथित घोटाले से संबंधित है, जिसमें छत्तीसगढ़ से कोयले की प्रत्येक टन ढुलाई पर एक ‘गिरोह’ 25 रुपये की कथित रूप से ‘अवैध उगाही’ करता था। इस ‘गिरोह’ में वरिष्ठ नौकरशाह, कारोबारी और राजनीतिक नेता कथित रूप से शामिल बताए जाते हैं।
एजेंसी ने 5,500 से अधिक पन्नों की की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा है कि तिवारी ने चौरसिया से अनाधिकारिक आदेश प्राप्त किया और उससे जिला स्तर पर नियुक्त आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को अवगत कराया। आरोपपत्र के मुताबिक, सौम्या चौरसिया ने तिवारी के लिए जिला प्रशासन पर नियंत्रण संभव बनाया। चौरसिया ने तिवारी को कोयले की प्रति टन ढुलाई से 25 रुपये और लौह अयस्क के पत्थरों की प्रति टन ढुलाई से 100 रुपये की अवैध लेवी की उगाही करने में सक्षम बनाया।
कोयला और लौह अयस्क की ढुलाई से उगाही किए गए धन को तिवारी के एक गिरोह ने जमा किया। आरोप पत्र में कहा गया है कि तिवारी घोटाले का एकमात्र लाभार्थी नहीं था। तिवारी ने बड़ी मात्रा में रकम का इस्तेमाल बेनामी संपत्ति खरीदने में किया, लेकिन धन का बड़ा हिस्सा चौरसिया को भेजा गया। यही नहीं रकम को राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में भी दिया गया। रकम को उच्च पदों पर बैठे लोगों के निर्देश पर ट्रांसफर किया गया।
आरोपपत्र में सौम्या चौरसिया, उनके भाई अनुराग चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी और मां कैलाश तिवारी, खनन अधिकारी एसएस नाग और संदीप कुमार नायक के साथ-साथ राजेश चौधरी नामक शख्स को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है। ईडी ने यहां धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) अदालत में पिछले साल नौ दिसंबर को आरोपपत्र दाखिल किया था।
इसमें आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, कारोबारी सुनील अग्रवाल, सूर्यकांत तिवारी, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी को आरोपी बनाया गया है। ईडी ने कहा कि सूर्यकांत तिवारी ने कथित रूप से करोड़ों रुपये जमा किए। इस रकम को प्राप्त करने और खर्च करने का विवरण उसने विभिन्न डायरी में दर्ज किया। केंद्रीय एजेंसी का कहना है कि डायरी में की गई तीन हजार से ज्यादा प्रविष्टियों की छानबीन की जा रही है।