नई दिल्ली. राजनीतिक कारणों से जांच शुरू करने और फिर लंबी पूछताछ के बाद अदालतों में नाकाम होने के विपक्षी पार्टियों के आरोपों का सामना कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब दावा किया है कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामलों में सजा देने की दर 96% है. ईडी द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 25 मामलों (जनवरी 2023 तक) में से 24 मामलों की सुनवाई पूरी हो चुकी है, जिनमें से 24 को दोषी ठहराया गया, जिसके परिणामस्वरूप 45 अभियुक्तों को सजा सुनाई गई है. अन्य 1,142 मामलों में सुनवाई चल रही है और ईडी ने चार्जशीट दायर की है.

कम संख्या में ट्रायल के पूरे होने को लेकर एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि पीएमएलए एक अपेक्षाकृत नया कानून है, जो 2005 में अस्तित्व में आया था और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके अधिकांश अभियुक्त साधन संपन्न हैं और उच्च न्यायालयों में जाकर जांच/मुकदमे में तेजी लाने के अभियोजन पक्ष के प्रयास को विफल करने के लिए विभिन्न कानूनी हथकंडों का उपयोग करने के मद्देनजर अच्छे वकीलों को अपना केस सौंपते हैं.

एक खबर के मुताबिक उन्होंने यह भी कहा कि दोषसिद्धि की उच्च दर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत चलाए गए मामलों के 56% के विपरीत है. ईडी ने मुकदमों के ‘स्ट्राइक रेट’ के बारे में जानकारी एजेंसी की वेबसाइट पर डाल दी है. यह माना जा रहा है कि राजनीतिक दुरुपयोग के आरोपों को दरकिनार करने के लिए ही जांच एजेंसी ने यह आंकड़ा सबके सामने रखा है.

सूत्रों ने बताया कि यूपीए सरकार के 2005 के बाद से ईडी द्वारा दर्ज किए गए 5,906 मामलों में से 3% केस वर्तमान या पूर्व सांसदों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं. ईडी ने 1,142 शिकायतें दर्ज की हैं, इस तरह से एजेंसी ने उस सीमा को पूरा किया है जहां अदालत अभियुक्तों के दिन-प्रतिदिन के मुकदमे की अनुमति देती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि अभियुक्तों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी है.

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *