संसद में आज ई-सिगरेट को लेकर बड़ा हंगामा हुआ, जब भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद पर सदन के अंदर ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया।
इस विवाद ने एक बार फिर ई-सिगरेट बैन को सुर्खियों में ला दिया है।
भारत सरकार कई साल पहले ही ई-सिगरेट, ई-हुक्का और सभी इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा चुकी है। यह फैसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिया था, जिसमें निर्माण, बिक्री और वितरण पर भी रोक लगाई गई।
भारत में क्यों लगा ई-सिगरेट पर बैन?
📌 20 मई 2019 — ICMR की बड़ी चेतावनी
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने सरकार को एक व्हाइट पेपर सौंपा था, जिसमें बताया गया:
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ई-सिगरेट स्वास्थ्य के लिए साधारण सिगरेट जितनी ही खतरनाक है।
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युवा पीढ़ी यह समझ रही है कि ई-सिगरेट हानिकारक नहीं है, जबकि यह एक गलतफहमी है।
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निकोटिन और अन्य केमिकल शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
इसके बाद सरकार ने इसे देशभर में बैन कर दिया।
ई-सिगरेट क्या है?
ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर है:
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इसमें निकोटिन या अन्य केमिकल वाला लिक्विड भरा जाता है।
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बैटरी की मदद से यह लिक्विड भाप (वapor) में बदल जाता है।
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पीने पर यह सिगरेट जैसा अहसास देता है।
लेकिन यह भ्रम है कि यह सामान्य सिगरेट से सुरक्षित है—
क्योंकि इसमें मौजूद केमिकल और निकोटिन उतने ही हानिकारक हैं।
कितनी खतरनाक है ई-सिगरेट?
रिसर्च के अनुसार ई-सिगरेट के गंभीर खतरे:
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दमा (Asthma) का खतरा
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“पॉपकॉर्न लंग्स” नामक खतरनाक बीमारी
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फेफड़ों का कैंसर
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अन्य जानलेवा श्वसन समस्याएं
दुनिया के कई देशों में इन बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों के कारण बैन या आंशिक प्रतिबंध लगाए गए हैं।
भारत में इसे पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है।
ई-सिगरेट पीने पर सजा क्या है?
केंद्र सरकार ने सख्त दंड का प्रावधान किया है—
🟥 पहली बार पकड़े जाने पर:
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₹1 लाख जुर्माना
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या 1 साल की जेल
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या दोनों
🟥 दूसरी बार पकड़े जाने पर:
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₹5 लाख जुर्माना
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या 3 साल की जेल
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या दोनों
इसमें ई-हुक्का भी शामिल है।