रायपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ में नशा मुक्ति के लिए व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। समाज कल्याण विभाग द्वारा जोर-शोर से इसके लिए तैयारी की जा रही है। नशा मुक्ति अभियान के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा कार्ययोजना (प्रारूप) तैयार कर ली गई है। आज कार्ययोजना (प्रारूप) में संशोधन एवं सुझाव के लिए बैठक आयोजित की गई।
नशा मुक्ति अभियान के लिए तैयार प्रारूप में संशोधन एवं सुझाव हेतु आयोजित बैठक में चर्चा के दौरान विभागीय समन्वय और शासकीय, गैर शासकीय, स्वयं सेवी संस्थाओं तथा धार्मिक व समाजिक संस्थाओं का सहयोग लिए जाने पर विशेष बल दिया गया। बैठक में स्कूलों, कॉलेजों, पारा-मोहल्लों में आदिवासी पारम्परिक संस्कृति को बिना प्रभावित किए हुए नशा मुक्ति अभियान चलाए जाने पर जोर दिया गया।
समाज को नशे के दुष्प्रभावों से बचाने, युवा पीढ़ी को बर्बादी से बचाने तथा उनकी संपूर्ण ऊर्जा का राष्ट्र निर्माण में उपयोग करने के लिए आवश्यक है कि नशा मुक्ति हेतु बड़ा जन-जागरण अभियान आरंभ किया जाये। उच्चतर माध्यमिक शालाओं, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों में जागरूकता हेतु लेखन, कविता, भाषण, प्रतियोगिता सहित सेमीनार आदि का आयोजन किया जाए। बैठक में समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक पंकज वर्मा सहित संबंधित विभागीय अधिकारी और स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि विशेष रूप उपस्थित थे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में नशे के दुष्प्रभावों से समाज को बचाने के लिए व्यापक जन-जागरण अभियान आरंभ करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि नशा मुक्ति जन-जागरण अभियान की विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के लिए देश में नशा मुक्ति हेतु कार्य कर रहे ख्यातिनाम व्यक्तियों एवं संस्थाओं से आवश्यक रूप से परामर्श किया जाए। समाज कल्याण विभाग द्वारा नशा मुक्ति जन-जागरण अभियान के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली गई है। प्रारूप में संशोधन एवं सुझाव के लिए बैठक में विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने कहा कि नशा एक ऐसी गंभीर सामाजिक बुराई है, जिससे मनुष्य का अनमोल जीवन गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है तथा वह अकाल मृत्यु का भी शिकार बन जाता है। नशे के लिए लोगों द्वारा गांजा, भांग, जर्दा गुड़ाखू, तंबाकू, शराब, गुटका, धूम्रपान, चरस, अफीम, स्मैक, कोकीन और ब्राउन शुगर तथा सुंघकर की जाने वाली नशा जैसे मादक पदार्थों का सेवन किया जाता है। इसे रोकने के लिए शासकीय प्रयासों के साथ ही जनभागीदारी जरूरी है। जब तक हम इस अभियान को जनमानस से नहीं जोड़ेंगे तथा जन-जन तक नहीं पहुंचायेंगे, तब तक यह अभियान सफल नहीं हो पाएगा। युवा पीढ़ी में नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ना अत्यधिक चिंताजनक विषय है।