कल सुबह हितेश ने अपनी पत्नी को बच्चे के साथ उसके पुरानी बस्ती स्थित मायके भेज दिया। परिजनों ने बताया कि कोरबा में कोई ज्योतिष आये हैं, जिनसे मिलने दोनो पति पत्नी जाने वाले थे। पर एन वक्त पर हितेश ने तबियत खराब होने का बहाना कर के पत्नी को ही अकेले भेज दिया। पत्नी ने कोरबा जाकर हितेश को फोन भी लगाया और बताया कि मैं दोपहर तक वापस आ जाऊंगी। उसके बाद थोड़ी देर बाद काल करने पर हितेश का काल रिसीव नही हुआ।
तब उसकी पत्नी ने नीचे प्रथम तल पर रहने वाली हितेश की माँ को फोन किया और ऊपर जा कर देखने को कहा। हितेश की मां ने जब ऊपर जा कर देखा तो हितेश पंखे पर गमछा बांध फांसी पर झूल गया, जिसको देख हितेश की मां के हाथ पैर फूल गए और उन्होंने पड़ोसियो समेत परिजनों को इसकी जानकारी दी। सूचना मिलने पर दर्री पुलिस भी मौके पर पहुँची और शव का पंचनामा बना पोस्टमार्टम करवाया। पीएम के बाद शव परिजनों को सौप दिया गया,परिजनों ने जांजगीर जिले में चाम्पा के पास स्थित गृहग्राम पचोरी में उनका अंतिम संस्कार किया।
सुसाइड नोट में लिखा टाइम, व परिजनों से मांगी माफी:-
हितेश ने फांसी लगाने से पहले बकायदा नहा धोकर पूजा पाठ करते हुए माथे पर तिलक लगाया। उसके बाद एक सुसाइड नोट लिखा जिसमे 27 तारीख की डेट के साथ सुबह दस बजे का टाइम भी दिया। सुसाइड नोट में हितेश ने लिखा है कि मैं अपने कर्जे से परेशान हूं और दिवालिया हो गया हूं,मेरे पास मरने के अलावा कोई चारा नही बचा है। साथ ही आत्महत्या के लिए खुद को ही जवाबदार बताया। अपनी माँ से माफी मांगते हुए हितेश ने लिखा है कि मम्मी माफ कर देना मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं। साथ ही पत्नी आशा के लिए sorry आशा लिखा है। और बच्चे के लिए बाबू i love you लिखा है। अपनी दोनो बहनों का नाम लिखते हुए लिखा है कि गुड़िया और बाबी माफ कर दो।
बताया जा रहा है कि हितेश को उसके कुछ परिचितों ने सट्टे की लत लगा दी थी। सट्टे की लत के चलते वह काफी रकम हार गया था। अपने पिता के एनटीपीसी से रिटायरमेंट पर व उनकी मौत के बाद बीमा क्लेम से उसे लगभग 50 लाख रुपये से अधिक की राशि मिली थीं। जिसे वह परिजनों के अनुसार सट्टे में हार गया था। इसके अलावा उसने कुछ माह पहले बैंक से भी लोन लिया था और अपनी पत्नी के गहनों को भी गिरवी रख दिया था।
इसके अलावा बाहरी मार्केट से भी हितेश ने कर्ज उठाया था। कर्ज के बोझ तले दबकर वह लगातार परेशान रहा करता था। परिजनों ने बताया कि बिलासपुर के किसी सूर्यकांत पंडा और कोरबा के किसी राठौर के द्वारा उसे लगातार रकम के लिए दबाव बना कर परेशान किया जा रहा था। इनके अलावा अन्य तगादेदार भी थे, पर उन सभी का नंबर हितेश ने ब्लॉक कर रखा था। जिसके बाद भी कुछ लोग उसे घर आकर रकम के लिए परेशान करते थे।
परिजनों ने बताया कि हम हितेश को गुमशुम देख कर हमेशा समझाइश देते थे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, साथ ही उसकी स्थिति को देखते हुए उसे कोई भी गलत कदम नही उठाने को बोलते थे, पर हितेश ने आखिरकार गलत कदम उठा ही लिया और मौत को गले लगा लिया। आयमहत्या के बाद इस बात की चर्चा मोहल्ले में होती रही कि हितेश ने सुसाइड नोट में सिर्फ इसलिए ही अपनी मौत के जिम्मेदारों का नाम नही लिखा क्योकि वे उसके परिजनों को और परेशान न करें। फिलहाल पुलिस ने सुसाइड नोट के अलावा हितेश का मोबाइल भी जब्त किया है और आत्महत्या के कारणों की जांच में जुटी है।