महासमुंद। पिता की हत्या के मामले में आरोप दोष सिद्ध होने पर अदालत ने पिथौरा के दो भाई जगदीश यादव और पुरूषोत्तम यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोषी बेटों पर सौ-सौ रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। सजा द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार पांडेय ने सुनाई।
मिली जानकारी के अनुसार दो अप्रैल 2023 को ओमप्रकाश यादव को उसके बड़े भाई पुरूषोत्तम ने फोन पर बताया कि पिताजी नहीं रहे। इस पर वह अपने छोटे जीजा अरुण और दीदी कमला के साथ गांव पहुंचे। जहां पहले से ही पुलिस, सरपंच, कोटवार, चाचा रवि यादव और उसके दोनों भाई जगदीश यादव एवं पुरूषोत्तम यादव सहित अन्य लोग मौजूद थे। पूछताछ में अभियुक्तगणों ने ओमप्रकाश को बताया कि परसों पिताजी ने मां के साथ मारपीट की थी। इसी बात पर रात में हल्का विवाद हुआ था। आगे की जानकारी वे नहीं दे पाए।
इस पर सभी की उपस्थिति में जब रजाई हटाकर पिताजी मंगलू यादव के शव को देखा तो सिर, दोनों कान में चोंट का निशान था और स्थान काला हो गया था। आंख के पास चोंट व गले में रस्सी से घोंटने की निशान दिखाई दे रहे थे। पूर्व में मंगलू ने जगदीश व पुरूषोत्तम के नाम की जमीन 20 लाख रुपये में बेचकर 15 लाख रुपये अपने दामाद नरेंद्र यादव को दिया था। डेढ़ लाख रुपये ओमप्रकाश और ढाई लाख पुरूषोत्तम को मिला। इसलिए दोनों के उपर उन्हें कुछ गलत करने का शक हुआ।
विवेचना के दौरान पीएम से यह तथ्य सामने आया कि मृतक मंगलू की मृत्यु हत्यात्मक प्रकृति की है, इस पर अभियुक्तों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि मृतक मंगलू द्वारा शराब पीकर गाली गलौच करने और मना करने पर नहीं मानने के बाद हाथ-मुक्का से मारपीट की गई। बाद में तेंदू की लकड़ी और प्लास्टिक की पाईप से मारपीट करना और नेवार की रस्सी से गला घोंट देने की बात बताई। वारदात में प्रयुक्त सभी सामान निशानदेही पर घर से बरामद कर विवेचना के बाद मामला कोर्ट को सौंपा था।
जहां आरोप सिद्ध होने पर दोनों अभियुक्तों को भादंसं की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और सौ-सौ रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि नही पटाने पर दो माह का पृथक से कारावास भुगताए जाने के साथ ही साक्ष्य छिपाये जाने के तहत तीन वर्ष के सश्रम कारावास और सौ-सौ रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि नही पटाने पर दो माह का कारावास पृथक से भुगतना होगा। शेष सजाएं साथ-साथ चलेगी। अभियोजन की ओर अतिरिक्त लोक अभियोजक भरत सिंह ठाकुर ने पैरवी की।