बिलासपुर। कांग्रेस भवन में विवाद नया नहीं है। बैठकों के दौरान आला नेताओं के सामने पदाधिकारी अपनी भड़ास निकालते ही रहे हैं। इस बार भी कुछ वैसा ही हुआ। मामला पूर्व मेयर और पीसीसी के पदाधिकारी के बीच हुआ,तल्खी भी जमकर हुई। इससे बड़ी बात ये कि पूरा मामला सोशल मीडिया में वायरल हो गया। यहीं पर बात बनते-बनते बिगड़ गई।

अनुशासनहीनता से बढ़कर मामला आत्म सम्मान का हो गया है।आत्म् सम्मान की इस सियासी लड़ाई में ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना बहरहाल मुश्किल जान पड़ रहा है। कांग्रेस भवन में पूर्व मेयर राजेश पांडेय और पीसीसी के महामंत्री व बिलासपुर जिला संगठन प्रभारी सुबोध हरितवाल का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया है कि एक वीडियो ने कांग्रेस की राजनीति में एक बार फिर सरगर्मी पैदा कर दी है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज से मुलाकात के बाद पूर्व महापौर का सुर अचानक बदल गया है। यूटर्न कहें या फिर कुछ और। उन्होंने एक बार फिर कहा कि वे कहीं नहीं जा रहे हैं। नगर निगम का चुनाव नजदीक आ रहा है इसलिए कुछ लोग बेजा फायदा उठाने की कोशिश में जुट गए हैं। उनका इशारा भाजपा की ओर था।

कांग्रेस भवन में पूर्व मेयर और पीसीसी महामंत्री के बीच हुए विवाद और तल्खी को कांग्रेस से जुड़े नेता व पदाधिकारी बिलकुल भी हलके में नहीं ले रहे हैं। हालांकि पूर्व महापौर पांडेय ने राजधानी रायपुर पहुंचकर पीसीसी चेयरमैन दीपक बैज के सामने अपनी बात रख दी है।

बैज की समझाइश का असर भी आज देखने को मिला,जब पूर्व मेयर का सुर बदला-बदला नजर आया। खेद जैसे शब्दों का प्रयोग उन्होंने किया। राम को रावण समझने की भूल भी हो गई। उनका कहना है कि उनकी बातों को समझने में भूल कर दी गई। राम कहा तो रावण समझने की भूल कर दी। पर ऐसे कैसे हुआ।

शब्दों का इतना हेरफेर तो समझ से बाहर है। साेशल मीडिया में वायरल वीडियो में तो ऐसा कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है। विवाद,तल्खी और भड़ास के अलावा कुछ भी नहीं। पांडेय के यूटर्न को लेकर अब चर्चा का दौर भी शुरू हो गया है। सुर में नरमी और बदलाव को लेकर कांग्रेस के भीतर ही सुगबुगाहट चल रही है।

दिग्गज पदाधिकारी इस बात की चर्चा भी कर रहे हैं कि सुबोध हरितवाल के दिल्ली में जमाए डेरा का असर तो नहीं। सुबोध हरितवाल ने एआईसीसी के महासचिव व प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट से मिलकर कांग्रेस भवन की घटना का ना केवल जिक्र किया है वरन कार्रवाई की मांग भी की है। चर्चा तो इस बात की भी है कि हरितवाल सीधी कार्रवाई चाह रहे हैं।

भाजपा में जाने या ना जाने को लेकर चर्चा

सियासत का नब्ज टटोलने वाले राजनीति के जानकारों का तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस भवन के भीतर हुए विवाद,हरितवाल का दिल्ली जाना और पीसीसी चेयरमैन की नाराजगी के बीच पूर्व महापाैर के भाजपा में जाने या ना जाने की बात कहां से निकलकर सामने आ गई। सियासी अंदाज पर नजर डालें तो कहीं इसके पीछे दबाव की राजनीति का खेल तो नहीं।

पूर्व मेयर की साफगोईर्

पूर्व मेयर पांडेय ने कहा कि उनकी बातों को गलत समझ लिया गया। उन्होंने राम कहा रावण समझ लिया। पूर्व मेयर की बातों से तो यही लग रहा है कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई। राम को रावण किसने समझ लिया और सियासत में सरगर्मी पैदा कर दी। नगरीय निकाय सामने है। विपक्षी दल राजनीतिक रूप से फायदा ना उठा ले इसलिए उन्होंने कांग्रेस भवन की घटना को लेकर खेद प्रकट किया है। पूर्व मेयर ने कहा कि कांग्रेस छोड़कर कहीं नहीं जा रहा हूं।

साेशल मीडिया में एक वीडियो की फिर होने लगी चर्चा

दरअसल सोशल मीडिया में एक वीडियो चल रही है, जिसे लेकर पूर्व महापौर के केसरिया रंग में रंगने की सियासी चर्चा छिड़ी हुई है। पूर्व मेयर ने कहा कि वे संदीप बाजपेयी के यहां शोक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, वहीं भाजपा नेता चंद्रशेखर शुक्ला से मुलाकात हुई थी। यही वीडियो किसी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल कर दिया है।

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