दुर्ग / कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी ने विगत दो दिवस जिले में हुई बारिश से हुए फसल नुकसान की जायजा लेने आज किसानों के खेतों तक पहुंची। इस दौरान कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारी भी साथ मौजूद थे। कलेक्टर सुश्री चौधरी ने आज विकासखण्ड धमधा से बारिश प्रभावित गांव तुमाकला एवं खिलोराकला का भ्रमण कर कृषकों से रू-ब-रू चर्चा कर फसल क्षति के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने कृषि एवं राजस्व विभाग के मैदानी अधिकारियों को प्रभावित गांवों में फसल क्षति का आंकलन शीघ्र पूर्ण कर कृषक सूची तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत प्रकरण तैयार कर मुआवजा/क्षतिपूर्ति की देने कार्यवाही शीघ्र पूर्ण करने निर्देशित किया।
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत मौसम रबी वर्ष 2023-24 हेतु गेंहू सिंचित, गेंहू असिंचित, चना एवं राई फसले अधिसूचित है। उक्त में 42253 हेक्टेयर क्षेत्र के 29408 कृषकों का फसल बीमा आवरण किया गया है। जिले में स्थानीय आपदा अंतर्गत असामयिक वर्षा/ओलावृष्टि के कारण रबी फसलों यथा चना एवं गेंहू फसल को क्षति हुई है। जिसमें विकासखण्ड धमधा के 127 ग्रामों में 9769.17 हेक्टेयर रकबा क्षेत्र में से चना फसल रकबा 4691.55 हेक्टेयर में लगभग 56 प्रतिशत एवं गेंहू फसल रकबा 5077.62 हेक्टेयर में लगभग 40 प्रतिशत क्षति हुई है।
उप संचालक कृषि एल.एम. भगत ने बताया कि कृषि विभाग के संयुक्त संचालक आर.के. राठौर एवं वे स्वयं धमधा विकासखण्ड के ग्राम घोठा, नंदवाय और हिरेतरा में कृषकों के प्रक्षेत्र का निरीक्षण कर उपस्थित कृषकों को स्थानीय आपदा से हुए क्षति की जानकारी 72 घंटे भीतर देने हेतु बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर सूचना देने की समझाईश दी गई है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमित कृषकों को स्थानीय आपदा की स्थिति यथा अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, भू-स्खलन, जलप्लावन, बादल फटना और प्राकृतिक आकाशीय बिजली से अधिसूचित फसल में नुकसान होने पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। कृषक को क्षति पूर्ति का लाभ लेने हेतु बीमा कंपनी एचडीएफसी ईरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के टोल फ्री नम्बर 1800-266-0700 एवं 14447 तथा व्हाटसप नम्बर 7304524888 पर सीधे सूचना दे सकते है। इसके अलावा स्थानीय कृषि/राजस्व अधिकारी, संबंधित बैंक या जिला कृषि/राजस्व अधिकारी को लिखित रूप से निर्धारित समय-सीमा में 72 घण्टे के भीतर बीमित फसल के ब्यौरा जैसे क्षति की मात्रा एवं क्षति के कारण सहित सूचित कर सकते है।