रायपुर [ News T20 ] | छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम-नान घोटाले का जिन्न एक बाहर आ गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय-ED को पत्र लिखकर जांच की मांग उठाई है। मुख्यमंत्री का कहना है, 2004 से 2015 के बीच हुए इस घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कहने पर एसीबी के अधिकारियों ने आरोपियों को बचा लिया। आरोपियों के पास मिले दस्तावेजों में सीएम सर और सीएम मैडम को पैसा देने की बात दर्ज है, लेकिन उसको चार्जशीट में शामिल तक नहीं किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी जानकारी देते हुए मंगलवार को बताया, प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल का हो उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। मैंने ED को आज पत्र लिखा है कि, नान घोटाले में सीएम मैडम, सीएम सर सबके नाम आए हुए हैं।ED के पास पहले से ही जांच चल रही है। इसमें भ्रष्टाचार के स्पष्ट सबूत हैं। उस समय एसीबी के जांच अधिकारी ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि पैसा उस डोमेन में गया है जहां हम जा नहीं सकते, जांच नहीं कर सकते। बहुत सारे मीडिया हाउस के पास उसकी क्लिपिंग होगी। ED को मैंने पत्र लिखा है आप जांच कराएं।
15 दिन में जांच नहीं तो न्यायालय जाने की बात –
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, अगर इस पत्र के 15 दिन बाद भी प्रवर्तन निदेशालय-ED ने जांच शुरू नहीं की तो न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी। इस मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ED को पहले भी एक पत्र लिख चुके हैं।
रमन सिंह का पलटवार, कहा-कब तक गुलाटी मारते रहोगे –
मुख्यमंत्री की चिट्ठी पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी आखिर कब तक मुद्दों से पलट कर गुलाटी मारते रहोगे। जब भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही हो तब तो ED की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाने लगते हो। आज उसी ED को पत्र लिखकर नान-चिटफंड की जांच का आग्रह कर रहे हो। कभी तो अपनी कथनी-करनी स्पष्ट रखिए। सत्य से इतना भय क्यों है?
यहां पढ़िये मुख्यमंत्री की पूरी चिट्ठी –
क्या है यह यह नान घोटाला –
दरअसल छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम के जरिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन होता है। एंटी करप्शन और आर्थिक अपराध ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय सहित अधिकारियों-कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था। वहां से करोड़ों रुपए की नकदी, कथित भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, डायरी, कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क समेत कई दस्तावेज मिले। आरोप था, राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वत ली गई। चावल के भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार किया गया। शुरुआत में शिवशंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला चला। बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल हो गया। हालांकि तत्कालीन सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति तब दी, जब यह तय हो गया कि राजनीतिक सत्ता बदलने वाली है।
सरकार बदली तो जांच अधिकारी ही नप गये –
2018 के विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता बदल गई। 17 दिसम्बर 2018 को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उसके कुछ ही दिनों बाद नान घोटाले की जांच के लिए एक SIT का गठन किया गया। इस दौरान सामने आया कि नान घोटाले की जांच के दौरान एसीबी के मुखिया मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह ने फर्जी दस्तावेज किए हैं। अवैध रूप से अफसरों-नेताओं के फोन टेप किए गए हैं। इस आरोप के आधार पर सरकार ने मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ एफआईआर हुआ। उसके बाद से गिरफ्तारी की आशंका में दोनों अधिकारी भूमिगत हो गए। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक एसआईटी के खिलाफ कोर्ट गए और स्टे ले आए। मुकेश गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से कार्रवाई पर स्टे लगवाने में कामयाब हो गए। लेकिन उनके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में केस किया है।