रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ किसानों, आदिवासियों, मजदूर और मेहनतकशों का प्रदेश है और सबकी अपनी विशेषताएं है। सभी ने अपनी संस्कृति को बढ़ाया और उसको सहेज कर रखने के लिए बड़ी मेहनत की और इसी से छत्तीसगढ़िया संस्कृति की पहचान बनी है। हमारी सरकार ने इसे आगे बढ़ाने का काम किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज निजी न्यूज़ चैनल द्वारा आयोजित प्रगति पथ पर छत्तीसगढ़ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ी आहार में मुख्य स्थान रखने वाले बोरे-बासी को हमने सम्मान दिलाने का काम किया है। अब यह छत्तीसगढ़िया सम्मान से जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के माध्यम से हमने बड़ा मंच दिलाया। पिठ्ठूल, गिल्ली डंडा, भौंरा, फुगड़ी, खो-खो जैसे परंपरागत खेलों ने अपनी खोई पहचान हासिल की है और लोग उत्साह के साथ ओलंपिक खेलों से जुड़े। उन्होंने कहा कि अइरसा, ठेठरी, खुरमी, फरा, चीला जैसे छत्तीसगढ़िया पकवान अब गढ़ कलेवा के माध्यम से हर जगह मिलने लगा है और सामाजिक आयोजन में इसे बड़े सम्मान के साथ परोसा जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कोरोना की विकट परिस्थिति में भी हम प्रदेश के किसानों और मजदूरों के साथ खड़े रहे। मनरेगा के माध्यम से उन्हें रोजगार दिलाने का काम किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है और वनवास काल में भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में लंबे समय तक यात्रा की। यहां शिवरीनारायण में भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाये। राम वन गमन पथ के माध्यम से हमें भगवान राम की इस यात्रा को चिरस्मरणीय बनाने का अवसर मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राम कौशल्या के राम है, शबरी के राम है, मेहनतकश लोगों के राम है, वनवासी राम है तथा राम सौम्य और कारुणिक है और हम सबके भांजे है। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन भी हम कर पाये यह बड़ी बात है।

नक्सली समस्या पर अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश इससे लगातार ग्रसित रहा है। नक्सली उन्मूलन को लेकर हमारा नजरिया अलग है और यह एक राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्या है। विश्वास, विकास और सुरक्षा के साथ हमने बस्तर के लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश की है। हमारी सरकार ने न केवल आदिवासियों का जमीन वापस दिलाया बल्कि लोगों को रोजगार मुहैया कराया। इन विकास कार्यों से बस्तर के लोग हमें अपना मानने लगे। हमने बंद पड़े स्कूल खोले। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में बस्तर में बड़े बदलाव आए हैं जिसके अब सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि बस्तर के लोग प्रकृति की गोद में रहने वाले लोग हैं। हमारे प्रयासों से अब बस्तर उन्नति की राह पर आगे बढ़ रहा है।

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