
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में कल एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में मंत्रिमंडल का पहला विस्तार होगा। इस दौरान तीन नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। इनमें अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल, दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव और आरंग विधायक खुशवंत साहेब शामिल हैं।
अब तक कैबिनेट में 11 मंत्री थे और इन तीन विधायकों के शामिल होने के बाद मंत्रियों की संख्या बढ़कर 14 हो जाएगी। खास बात यह है कि तीनों ही पहली बार विधायक बने हैं और पहली ही पारी में मंत्री पद का अवसर मिलने जा रहा है।
अंबिकापुर के विधायक राजेश अग्रवाल : टीएस सिंहदेव को हराकर लिखी नई कहानी
राजेश अग्रवाल ने सरगुजा जिले की अंबिकापुर सीट से बड़ा उलटफेर किया। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए अग्रवाल ने अपने ही राजनीतिक गुरु और प्रदेश के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को हराकर इतिहास रच दिया। यह जीत बेहद रोमांचक रही क्योंकि वे महज 94 वोटों से विजयी हुए।
व्यवसायिक परिवार से जुड़े अग्रवाल मारवाड़ी समाज के लोकप्रिय चेहरा हैं। 2002 से राजनीति में सक्रिय रहते हुए वे पहले उपसरपंच और फिर नगर पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनकी संघर्षशील छवि और ज़मीनी पकड़ ने ही उन्हें विधानसभा और अब मंत्री पद तक पहुंचाया है।

दुर्ग शहर के गजेंद्र यादव : अरुण वोरा को दी करारी शिकस्त
दूसरे नए मंत्री बनने जा रहे गजेंद्र यादव ने दुर्ग शहर से कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण वोरा को हराकर बड़ी जीत दर्ज की।
गौरतलब है कि अरुण वोरा न सिर्फ कांग्रेस के सीनियर विधायक थे, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के बेटे भी हैं।
गजेंद्र यादव ने जनता के बीच मजबूत पकड़, साफ-सुथरी छवि और शानदार जनसंपर्क के दम पर 48,697 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की। वे लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे हैं और भाजपा संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
आरंग के खुशवंत साहेब : शिव डहरिया को मात देकर बने विजेता
तीसरे नए मंत्री पद की शपथ लेंगे खुशवंत साहेब, जिन्होंने आरंग सीट से कांग्रेस के कद्दावर मंत्री शिव डहरिया को हराया।
37 वर्षीय खुशवंत साहेब सतनामी समाज के धर्मगुरु गुरु बलदास गोसाई के बेटे हैं। समाज में उनकी सक्रियता और मजबूत पकड़ ने उन्हें चुनाव में बढ़त दिलाई। उन्होंने 16,538 वोटों से यह ऐतिहासिक जीत हासिल की।
क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण साधने की कोशिश
इन तीनों नए विधायकों को मंत्री पद देकर भाजपा ने एक ही कदम से कई राजनीतिक समीकरण साधे हैं। यह कदम न सिर्फ क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण मजबूत करेगा, बल्कि नए चेहरों को मौका देकर पार्टी ने भविष्य की राजनीति का भी संदेश दिया है।
