2022 Chhath Puja Kharna Time: आज शनिवार को छठा पूजा का दूसरा दिन है, इसे खरना या लोहंडा कहते हैं. नहाय-खाय के बाद खरना आता है. पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना पूजा होती है. छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय से तन और घर की साफ-सफाई होती हे, उसके बाद खरना से मन की सफाई यानि पवित्रता होती है. छठ पूजा साफ-सफाई के साथ ब्रह्मचर्य के कठिन नियमों से जुड़ा हुआ है. खरना की रात प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठी मैया का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं आज के शुभ मुहूर्त और खरना पूजा के बारे में.

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना

खरना 2022 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ति​थि आज 29 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 13 मिनट से शुरू हो रही है. इस तिथि की समाप्ति कल 30 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 49 मिनट पर होगी. खरना के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर हुआ है.

रवि योग में खरना 2022

इस साल छठ पूजा का खरना रवि योग में है. आज प्रात: 06 बजकर 31 मिनट से रवि योग प्रारंभ है, जो सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक है. वहीं सुकर्मा योग रात 10 बजकर 23 मिनट से बन रहा है.

खरना का महत्व

खरना पूजा विशेषकर व्रती के मन की शुद्धता के लिए होता है. इस दिन व्रती स्वयं को मानसिक तौर पर 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत के लिए तैयार करता है. तन और मन की शुद्धता के बाद छठ पूजा का व्रत प्रारंभ होता है. खरना के दिन ही छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है, इसमें भी शुद्धता का विशेष ध्यान रखते हैं. छठ का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी की मदद से बनाया जाता है. प्रसाद में विशेष तौर पर ठेकुआ बनाते हैं.

खरना पूजा विधि

1. छठ पूजा के दूसरे दिन प्रात: स्नान के बाद व्रती व्रत और पूजा का संकल्प करता है.

2. फिर इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. दिन में छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है.

3. रात के समय में चावल और गुड़ से खीर बनाते हैं, जिसे रसियाव कहा जाता है. इसके अलावा पूड़ी भी बनाई जाती है.

4. प्रसाद बन जाने के बाद व्रती पूजा करते हैं और वे सूर्य भगवान को रसियाव, पूड़ी और मिठाई का भोग लगाते हैं.

5. उसके बाद व्रती को सबसे पहले प्रसाद दिया जाता है. जब वह प्रसाद खा लेते हैं तो परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद और भोजन ग्रहण करते हैं.

6. प्रसाद ग्रहण करने के बाद से व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. इस दौरान जल और अन्न ग्रहण नहीं करना है.

7. इसके अगले दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और फिर उसके अगले दिन प्रात:कालीन अर्घ्य देकर प्रसाद ग्रहण करके पारण किया जाएगा. पारण के साथ छठ पूजा संपन्न हो जाएगी.

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