
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत बड़ी सफलता मिली है। गरियाबंद जिले में चार हार्डकोर माओवादियों ने पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इन नक्सलियों पर कुल ₹19 लाख का इनाम घोषित था। सरेंडर करने वालों में दो महिला नक्सली भी शामिल हैं।
नक्सलियों ने क्यों किया सरेंडर?
नक्सली संगठन से लंबे समय तक जुड़े रहे इन माओवादियों ने शासन की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर हथियार डाल दिए। सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने बताया कि संगठन में निर्दोष ग्रामीणों की हत्या, जबरन वसूली और छोटे कैडरों के शोषण जैसी गतिविधियाँ आम हो चुकी थीं। ऐसे में उन्होंने मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों की पहचान
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दीपक उर्फ भीमा मंडावी – 8 लाख का इनामी, डीव्हीसीएम (DVCM) पद पर सक्रिय।
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कैलाश उर्फ भीमा भोगम – 5 लाख का इनामी, पोलित ब्यूरो सदस्य मोदेम बालाकृष्णन उर्फ मनोज की प्रोटेक्शन टीम में कमांडर।
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रनिता उर्फ पायकी – 5 लाख की इनामी महिला नक्सली, कई बड़े माओवादी घटनाओं में शामिल।
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सुजीता उर्फ उरें कारम – 1 लाख की इनामी महिला नक्सली, हाल ही में संगठन से जुड़ी थी।
गरियाबंद पुलिस की बड़ी कार्रवाई: 16.50 लाख नकद जब्त
सरेंडर के साथ ही दूसरी तरफ गरियाबंद-धमतरी पुलिस, सीआरपीएफ और कोबरा की संयुक्त टीम ने मैनपुर के बड़े गोबरा जंगल में नक्सली कैंप को ध्वस्त किया।
पुलिस ने इस कार्रवाई में ₹16.50 लाख नकदी, लैपटॉप, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, हथियार और विस्फोटक सामग्री जब्त की।
सरेंडर करने वालों के लिए क्या है सरकार की योजना?
राज्य सरकार की नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को –
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पदानुसार इनाम राशि का लाभ,
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स्वास्थ्य सुविधा,
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आवास और रोजगार की सुविधा,
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पुनर्वास योजना के तहत समाज में पुनः शामिल होने का मौका दिया जाता है।
