13 साल बाद लौटी खुशियाँ
कोंडागांव में SIR प्रक्रिया (सिस्टमैटिक इम्प्रूवमेंट रजिस्ट्रेशन) ने एक परिवार की ज़िंदगी बदल दी। 13 साल से गुमशुदा बेटी सुनीता आखिरकार अपने मां-बाप के घर लौट आई। बूढ़े माता-पिता की आंखें उसे देखते ही भर आईं—जैसे 13 साल का इंतज़ार आज पूरा हो गया हो।
शराबखोरी से तंग आकर घर छोड़कर गई थी बेटी
सुनीता ने बताया कि उसके पिता की शराब पीने की आदत से वह बेहद परेशान थी। घरेलू कलह और तनाव से थककर उसने साल 2012 की एक रात चुपचाप घर छोड़ दिया। परिवार ने रिश्तेदारों से लेकर कई शहरों तक खोजबीन की, लेकिन सुनीता का कोई पता नहीं चला।
रायपुर में एक बुजुर्ग के संरक्षण में रही
घर छोड़ने के बाद सुनीता रायपुर पहुंची, जहां एक बुजुर्ग ने उसे बेटी की तरह अपने पास रखा। सुनीता वहीं रहने लगी। 2019 में वह बुजुर्ग भी गुजर गया, लेकिन सुनीता घर लौटने का हिम्मत नहीं जुटा पाई—उसे डर था कि परिवार नाराज़ होगा।
SIR प्रक्रिया बनी घर वापसी की वजह
2025 में SIR प्रक्रिया शुरू हुई, जिसके तहत BLO अधिकारियों ने पहचान पत्र और परिवार से जुड़े दस्तावेज़ मांगे। सुनीता के पास कोई पहचान प्रमाण नहीं था। तब उसने आखिरकार घर जाने का फैसला लिया और 13 साल बाद अपने पुराने घर का दरवाज़ा खटखटाया।
पिता ने बेटी से वादा किया – अब कभी शराब नहीं पिएंगे
जैसे ही सुनीता घर पहुंची, मां-बाप की आंखें छलक पड़ीं। मां उसे देखते ही बेहोश होते-होते बचीं, वहीं पिता अपनी गलती पर पछतावे से भर गए।
उन्होंने बेटी को गले लगाकर कहा—
“अब मैं कभी शराब नहीं पीऊंगा… बस तुम घर वापस आ गई।”
13 सालों बाद घर में इतनी खुशी लौट आई कि परिवार इसे किसी चमत्कार से कम नहीं बता रहा।