
Korba News (कोरबा समाचार)। कोरबा जिले में छात्रावास मरम्मत के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले में बड़ी कार्रवाई की गई है। तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर, SDO, PWD के सब-इंजीनियर, डाटा एंट्री ऑपरेटर और 4 ठेकेदार फर्मों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। यह कार्रवाई कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर की गई।
करोड़ों के फंड में किया गया घोटाला
केंद्र सरकार से संविधान अनुच्छेद 275(1) के तहत वर्ष 2021-22 में आदिवासी विकास विभाग को 5 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया था। इसमें से लगभग 4 करोड़ रुपये छात्रावास और आश्रमों की मरम्मत व नवीनीकरण के लिए जारी हुए थे।

लेकिन जांच में सामने आया कि काम अधूरा रहा या हुआ ही नहीं, फिर भी करोड़ों रुपये का भुगतान ठेकेदार कंपनियों को कर दिया गया।
दस्तावेज गायब, फर्जी भुगतान का खुलासा
जांच के दौरान पाया गया कि निविदा से जुड़े सभी दस्तावेज, फाइलें, कैश बुक और तकनीकी स्वीकृति रिकॉर्ड कार्यालय से गायब थे। वहीं भौतिक सत्यापन में लगभग 80 लाख रुपये का बोगस पेमेंट उजागर हुआ।
इतना ही नहीं, 48 लाख रुपये के 4 कार्य आज तक शुरू तक नहीं हुए, जबकि कागजों में इन्हें पूरा दिखाकर भुगतान कर दिया गया।
इन फर्मों को मिला था ठेका
जांच में सामने आया कि कुल 3.83 करोड़ रुपये के 34 कार्य सिर्फ 4 फर्मों को दिए गए थे:
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मेसर्स श्री साई ट्रेडर्स – ₹73.28 लाख (9 कार्य)
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मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स – ₹1.14 करोड़ (9 कार्य)
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मेसर्स एस.एस.ए. कंस्ट्रक्शन – ₹49 लाख (6 कार्य)
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मेसर्स बालाजी इंफ्रास्ट्रक्चर, कटघोरा – ₹1.47 करोड़ (10 कार्य)
FIR में शामिल अधिकारी और फर्म
कलेक्टर अजीत वसंत की निगरानी में हुई जांच के बाद FIR दर्ज की गई है। इसमें नामजद हैं:
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तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर
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तत्कालीन SDO अजीत कुमार तिग्गा
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तत्कालीन उप अभियंता राकेश वर्मा
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डाटा एंट्री ऑपरेटर कुश कुमार देवांगन
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उपरोक्त चारों ठेकेदार फर्म
ध्यान देने योग्य है कि माया वारियर पहले से ही DMF घोटाले में जेल में बंद है।
कलेक्टर के निर्देश पर बड़ा एक्शन
लगभग 2 साल से लंबित इस मामले को अब कलेक्टर अजीत वसंत ने गंभीरता से लिया। जांच टीम ने जब छात्रावासों का भौतिक सत्यापन किया, तो भ्रष्टाचार की पूरी पोल खुल गई और FIR दर्ज करने की नौबत आई।
