बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में नकली शराब बनाने और उसे खपाने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। मुंगेली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों से स्पिरिट से भरा टैंकर, नकली स्टीकर, होलोग्राम, शराब की बोतलों के ढक्कन, शराब की डिग्री नापने की मशीन, कार और मोबाइल फोन जब्त किए हैं।

पुलिस की बड़ी कार्रवाई

मुंगेली एएसपी नवनीत कौर छाबड़ा ने बताया कि दाबो गांव (फास्टरपुर) में अवैध शराब बनाने के लिए स्पिरिट खरीदी जा रही थी।
एएसपी और एसडीओपी मयंक तिवारी के निर्देश पर साइबर सेल और पुलिस टीम ने घेराबंदी की।
मौके से रामगोपाल यादव (राजगढ़, मप्र), मलखान सिंह (हमीरपुर, उप्र), महेंद्र अनुरागी (महोबा, उप्र) और भगवत सिंह बुंदेला (छतरपुर, मप्र) को गिरफ्तार किया गया।

कैसे बनती थी नकली शराब?

आरोपियों ने पूछताछ में कबूला कि वे भोपाल से छेरकाबांधा डिस्टलरी जा रहे टैंकर ड्राइवर से स्पिरिट चोरी से निकालते थे
इसी स्पिरिट से नकली शराब बनाई जाती थी।
बोतलों पर नकली होलोग्राम और ढक्कन लगाकर इन्हें मुंगेली, बेमेतरा और बिलासपुर के आसपास बेचा जाता था।

आरोपी पहले भी पकड़े जा चुके हैं

आरोपी महेंद्र अनुरागी एक साल पहले भी पथरिया पुलिस के हत्थे चढ़ा था, जब उसके पास से भारी मात्रा में स्पिरिट और नकली होलोग्राम बरामद हुए थे।
आरोपी भगवत सिंह बुंदेला पर भी मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में नकली शराब का केस दर्ज है।

शराब ठेके बंद होने के बाद शुरू हुआ गोरखधंधा

आरोपियों ने बताया कि वे पहले शराब ठेकेदारों के साथ काम करते थे।
जब छत्तीसगढ़ में शराब ठेके बंद हुए तो उन्होंने नकली शराब बनाने और बेचने का धंधा शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे उन्होंने स्थानीय कोचियों से सांठगांठ कर गांव-गांव में सप्लाई शुरू कर दी।

आबकारी विभाग की भूमिका पर सवाल

यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था लेकिन आबकारी विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी।
सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार नकली शराब इतनी बड़ी मात्रा में खपाई जा रही थी और विभाग को कुछ पता क्यों नहीं चला?

इस टीम ने किया खुलासा

फास्टरपुर थाना प्रभारी गिरिजाशंकर यादव
साइबर सेल प्रभारी एसआई सुशील कुमार बंछोर
प्रधान आरक्षक नोखेलाल कुर्रे
नरेश यादव, यशवंत डाहिरे, लोकेश राजपूत, रवि जांगड़े
और करीब 20 सदस्यीय टीम ने इस कार्रवाई में अहम भूमिका निभाई।

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