
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट का बड़ा फैसला
नई दिल्ली/रायपुर, 27 अगस्त 2025। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय रेलवे की 4 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनकी कुल लागत ₹12,328 करोड़ होगी। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल यात्रियों की सुविधा बढ़ाना है, बल्कि माल ढुलाई और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना भी है।
कौन-कौन सी रेल परियोजनाओं को मिली मंजूरी?
-
देशलपार – हाजीपीर – लूना और वायोर – लखपत नई लाइन
-
सिकंदराबाद (सनथनगर) – वाडी तीसरी और चौथी लाइन
-
भागलपुर – जमालपुर तीसरी लाइन
-
फुर्केटिंग – न्यू तिनसुकिया दोहरीकरण परियोजना
नई रेल लाइन से कच्छ और सुदूर क्षेत्रों को फायदा
-
गुजरात के कच्छ क्षेत्र में प्रस्तावित नई रेल लाइन से 145 रूट किमी और 164 ट्रैक किमी का विस्तार होगा।
-
अनुमानित लागत ₹2526 करोड़ और समयसीमा 3 वर्ष तय की गई है।
-
यह लाइन न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि नमक, कोयला, सीमेंट, क्लिंकर और बेंटोनाइट के परिवहन को भी मजबूत बनाएगी।
-
धोलावीरा (हड़प्पा स्थल), कोटेश्वर मंदिर, नारायण सरोवर और लखपत किला जैसे पर्यटन स्थल रेल नेटवर्क से जुड़ेंगे।
-
इस परियोजना से 866 गांव और 16 लाख से ज्यादा की आबादी को सीधा लाभ होगा।
मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं से कनेक्टिविटी में सुधार
-
सिकंदराबाद–वाडी (173 किमी, लागत ₹5012 करोड़, समयसीमा 5 साल) – कर्नाटक और तेलंगाना को फायदा।
-
भागलपुर–जमालपुर (53 किमी, लागत ₹1156 करोड़, समयसीमा 3 साल) – बिहार को सीधा लाभ।
-
फुर्केटिंग–न्यू तिनसुकिया (194 किमी, लागत ₹3634 करोड़, समयसीमा 4 साल) – असम और पूर्वोत्तर को मजबूती।
इनसे 3108 गांव और 47.34 लाख की आबादी को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।

लॉजिस्टिक्स और उद्योगों को होगा सीधा फायदा
-
इन परियोजनाओं से रेलवे की क्षमता 68 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) बढ़ेगी।
-
कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, फ्लाई ऐश, स्टील, कंटेनर, उर्वरक, कृषि उत्पाद और पेट्रोलियम उत्पाद जैसे सामानों का परिवहन और आसान होगा।
-
इससे लॉजिस्टिक्स लागत घटेगी, आयातित तेल पर निर्भरता कम होगी और उद्योगों को तेजी मिलेगी।
पर्यावरण और रोजगार पर सकारात्मक असर
-
परियोजनाओं से निर्माण के दौरान 251 लाख मानव-दिवसों का रोजगार सृजित होगा।
-
56 करोड़ लीटर तेल आयात कम होगा।
-
लगभग 360 करोड़ किलो CO2 उत्सर्जन में कमी, जो 14 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
