Indian Economy @ 2027: भारत, तरक्की की राह पर है और 2027 तक वैश्विक स्तर पर हम अपनी धाक जमा पाने में और कामयाब होंगे. Local Circles ने एक देशव्यापी सर्वे में 92 हजार से अधिक लोगों की राय अलग अलग विषयों पर ली थी. उसका जो सार निकला उसके मुताबिक 2027 में जब 80वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे तो देश कई मोर्चों पर वैश्विक स्तर पर अपना दबदबा कायम कर लेगा. यह वो वर्ष होगा जब भारत आजादी के के 80 साल पूरे होने का जश्न मना रहा होगा.
इस ऐतिहासिक मोड़ पर वैश्विक अर्थशास्त्री बहुत आशावादी हैं और उसके पीछ पुख्ता वजहें हैं जो भारत को वर्तमान में पांचवें स्थान से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में मदद करेगा निवेश, जनसांख्यिकी लाभ और सार्वजनिक डिजिटल को बढ़ावा देने की दिशा में नीतिगत दृष्टिकोण में बदलाव हुआ है. मॉर्गन स्टेनली ने अनुमान लगाया है कि बुनियादी ढांचा भारत को 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना देगा. मॉर्गन स्टेनली के मुख्य एशिया अर्थशास्त्री चेतन अह्या ने फाइनेंशियल टाइम्स में लिखा कि भारत अगले 10 साल में अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को मौजूदा 3.4 ट्रिलियन डॉलर से दोगुना से भी अधिक बढ़ाकर 8.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा.
जानकारों की खास राय
अह्या ने नवंबर 2022 में फाइनेंशियल टाइम्स में लिखा था. भारत हर साल अपने सकल घरेलू उत्पाद में 400 अरब डॉलर से अधिक जोड़ देगा. एक ऐसा पैमाना जिसे केवल अमेरिका और चीन ही पीछे छोड़ेंगे. भारत के नीतिगत दृष्टिकोण में बदलाव इसे इसके करीब ले जा रहा है. निर्यात का लाभ उठाने, बचत बढ़ाने और निवेश के लिए पूर्वी एशियाई मॉडल है. अह्या ने कहा कि भारत की जीडीपी आज वहीं है जो 15 साल पहले चीन की 2007 में थी लेकिन जनसांख्यिकीय लाभांश भारत के लाभ के लिए काम करेगा क्योंकि चीन की औसत आयु 11 वर्ष कम है. उत्पादकता वृद्धि का अंतर भी भारत के पक्ष में है और भारत उच्च विकास दर पर लौटने के कगार पर है.
क्या है भारत की सोच
- 55 फीसद नागरिकों का मानना है कि भारत 2027 तक अधिकांश लोगों के लिए विकास और समृद्धि प्रदान करने में सक्षम होगा.
- 77 फीसद नागरिकों का मानना है कि भारत बहुत सारे छोटे उद्यमी पैदा करने में सक्षम होगा लेकिन नौकरियां सीमित होंगी.
- सर्वेक्षण में शामिल 40 फीसद लोगों का मानना है कि पर्याप्त रोजगार और आजीविका के अवसर पैदा करने में शीर्ष पर रहेंगे.
- अगले 4 साल में भारत के लिए चुनौती. 18% का मानना है कि इससे आर्थिक वृद्धि होगी.
तरक्की की राह पर भारतीय अर्थव्यवस्था
प्रख्यात अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारत फिलहाल जिस स्थिति में है उसे 7% से अधिक की विकास दर पर वापस आना चाहिए. वर्तमान में यह 2003 की स्थिति में है जब विकास दर लगभग 8 फीसद तक पहुंच गई थी और देश ने बरकरार रखा था. नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम आशावादी हैं. वो कहते हैं कि भारत के बुनियादी ढांचे के काम में काफी प्रगति हुई है और यह वास्तव में आगे बढ़ने के मोड़ पर है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम और युवा आबादी तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में बहुत मददगार होगी. ब्लूमबर्ग के रिपोर्ट के मुताबिक भारत को छोड़कर चीन समेत दुनिया के सभी विकसित देशों में मंदी की आशंका है.
इससे अछूता रहेगा. एचएसबीसी इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने हाल ही में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है. अगले दस वर्षों में 6.5% की दर से बढ़ने की संभावना है. अगर कृषि और एमएसएमई जैसे क्षेत्रों का डिजिटलीकरण होता है तो विकास दर 7.5% तक जा सकती है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिल सकती है. 2027 तक 7 फीसद की औसत वृद्धि दर से भारतीय अर्थव्यवस्था को 7.5 ट्रिलियन डॉलर के स्तर को छूने में मदद मिलेगी. 2022 में यह $3.5 ट्रिलियन के स्तर पर था. भारत, अमेरिका, चीन और रूस सहित कई जी-20 अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं.
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक सर्विस एक्सपोर्ट,फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स में जबरदस्त बढ़ोतरी से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिल रहा है.डिजिटल बुनियादी ढांचे के साथ भी मिल रहा है. भले ही भारतीय और वैश्विक दोनों अर्थशास्त्री 7 फीसद या उससे भी अधिक की उच्च वृद्धि की वापसी का अनुमान लगा रहे हैं. आने वाले वर्षों में लोकल सर्कल्स ने एक मेगा राष्ट्रीय सर्वेक्षण के माध्यम से सर्वेक्षण को 379 जिलों में स्थित नागरिकों से 92,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं थीं, 63 फीसद पुरुष थे जबकि 37 फीसद महिलाएं थीं. 42 फीसद लोग टियर 1 के जिलों से थी जबकि 32 फीसद टियर 2 से और 26 फीसद प्रतिक्रियाएं टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे।