बॉस की किस ने पलट दी किस्मत: नौकरी गई, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला!

चीन के किंगदाओ में मामला पहुंचा कोर्ट, किस ने बदल दी एक सीनियर मैनेजर की जिंदगी

किंगदाओ (चीन): चीन के शेडोंग प्रांत में स्थित किंगदाओ में एक घटना ने सबको हैरान कर दिया। यह कहानी है लिन की, जो एक विदेशी शिपिंग कंपनी में सीनियर मैनेजर था। उसकी जिंदगी तब पलट गई जब एक किस ने उसे कोर्ट तक पहुंचा दिया।

लिन अपने दफ्तर की एक लड़की, शी, से प्यार करता था। दोनों के बीच एक किस हुआ, और उसी घटना ने लिन की नौकरी छीन ली और उसे कोर्ट कचहरी के चक्कर में डाल दिया।

2015 में नौकरी से निकाला गया, वजह बनी एक किस

लिन पर आरोप था कि उसने शी नामक अपनी सहकर्मी को दफ्तर में किस किया था। कंपनी ने इसे अनुशासनहीनता और नैतिकता का उल्लंघन मानते हुए उसे नौकरी से निकाल दिया। यह घटना 2015 में घटित हुई थी। लेकिन, लिन ने हार नहीं मानी और कंपनी के फैसले को चुनौती देने के लिए किंगदाओ अदालत में मुकदमा दर्ज कर दिया।

पहली सुनवाई में कंपनी के पक्ष में फैसला, लेकिन लिन ने किया अपील

अदालत ने पहले कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया, यह कहते हुए कि लिन का व्यवहार अनुचित था और यह कंपनी के नियमों का उल्लंघन था। लेकिन लिन संतुष्ट नहीं था और उसने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला: लिन को फिर से नौकरी पर बहाल किया

2017 में जब मामला उच्च न्यायालय में पहुँचा, तो न्यायालय ने एक नया मोड़ लिया। अदालत ने यह पाया कि कंपनी यह साबित नहीं कर पाई कि लिन ने अपने पद का दुरुपयोग किया। इसके अलावा, शी ने भी स्पष्ट किया कि उनके बीच कुछ भी हुआ तो उसमें जबरदस्ती नहीं थी।

अदालत ने यह भी कहा कि कंपनी के नैतिक मानकों को कर्मचारियों के खिलाफ बर्खास्तगी के लिए कानूनी आधार नहीं माना जा सकता।

कंपनी को दिया आदेश: लिन को नौकरी पर वापस लें और वेतन का भुगतान करें

अंततः 2017 में अदालत ने कंपनी को आदेश दिया कि वह लिन को उसकी नौकरी पर फिर से बहाल करें और उसे नौकरी से हटाए जाने की तारीख से अब तक का वेतन भी दिया जाए। इसके साथ ही 1.13 मिलियन युआन (करीब 13,40,7973 रुपये) का हर्जाना भी दिया।

सोशल मीडिया पर गरमाई चर्चा: कर्मचारियों के अधिकार या नैतिकता का उल्लंघन?

यह फैसले के बाद चीनी सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कुछ ने इसे कर्मचारी अधिकारों की जीत के रूप में देखा तो कुछ ने इसे नैतिकता का उल्लंघन मानते हुए नाखुशी जताई। उनके अनुसार, ऐसा व्यवहार सार्वजनिक रूप से नैतिकता के खिलाफ था, जिसे सजा मिलनी चाहिए थी।

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