रायपुर 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहां एक निजी होटल में आयोजित कार्यक्रम में ‘बुत मरते नहीं’ शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार ब्रम्हवीर सिंह हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पुस्तक के लेखक ब्रम्हवीर को बधाई देते हुए कहा कि पुस्तकें जो आंदोलित करें, पाठक को बांधकर रखें, संवेदनाओं से जुड़ी हों और जो हमारी चेतना का विस्तार करें ऐसी पुस्तकों की आज ज्यादा आवश्यकता है। आज हम अपने विचारों में संकुचित होते जा रहे हैं।

आज कोई भी अपनी परंपरागत पहचान से बाहर आना नहीं चाहता। आज घुटन का दौर है, खुलेपन की बात करना बेमानी है लेकिन छत्तीसगढ़ में असहमति का सम्मान है, यहां अपनी बात खुलकर कह सकते हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में विभिन्न वर्गों के बीच परस्पर सम्मान और सौहार्द्र को रेखांकित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में जातियां तो हैं लेकिन उनमें वैमनस्यता नहीं है। यह हमारे पुरखों की गौरवशाली परंपरा रही है, इसे बढ़ाने की कोशिश हम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने भी लेखक होते हैं वे उपन्यास या अपनी कोई भी रचना को अपने बच्चे की तरह पालते हैं। तभी अच्छे से लिख पाता हैं। रचनाकार की भावनाएं अपनी रचना से जुड़ी होती हैं। आज लोगों को पुस्तकें पढ़ने का समय कम मिल पाता है। आज के समय में ऐसी पुस्तकें जो संवेदना और मानवीय गुणों से जुड़ी हैं, सोचने का एक नजरिया देती हैं। आज समाज को ऐसी पुस्तकों की जरूरत है। मुख्यमंत्री सहित अतिथियों ने हरिभूमि, आईएनएच द्वारा छत्तीसगढ़ के पर्यटन पर केन्द्रित पुस्तक ‘आईए देखें छत्तीसगढ़’ का विमोचन भी किया।


कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने की। डॉ. महंत ने पुस्तक के लेखक को बधाई देते हुए कहा कि 10 साल पहले मैंने उनकी पहली पुस्तक का विमोचन किया था। आज दूसरी पुस्तक का विमोचन हो रहा है। उन्होंने लेखक को पुस्तक के प्रकाशन पर बधाई दी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने पुस्तक की विषय-वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवीय संवेदनाओं, मानवता और इनके रोचक पात्रों के चित्रण के जरिए पुस्तक पाठकों को अंत तक बांधे रखती है। इसके माध्यम से गांव की राजनीति, जाति-समाज, क्षेत्र, इंसानियत, धर्म और सिस्टम का अच्छा प्रस्तुतिकरण किया गया है।

प्रख्यात पत्रकार और साहित्यकार तथा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राहुल देव ने विस्तार से पुस्तक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पुस्तक पाठक की उत्कंठा को अंत तक बनाए रखती है। पुस्तक गांव और शहरों के अंतरसंबंध, मानवीय संवेदनाओं और संबंधों से गुथी हुई है। पुस्तक में संवेदना, मानवीयता, संबंधों की उष्मा की आंच पाठक को महसूस होती है। कथानक का घटना क्रम हमें परिचित सा महसूस होता है। इसकी नाटकीयता पुस्तक का आकर्षण बढ़ाती है। हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने स्वागत भाषण दिया। पुस्तक के लेखक ब्रम्हवीर सिंह ने भी पुस्तक के कथानक पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन मुख्यमंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग ने किया। कार्यक्रम में पत्रकार, साहित्यकार और प्रबुद्ध नागरिकगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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