Gujrat [ News T20 ] | गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पिछले 27 सालों से सत्ता में है और अब लगातार सातवीं बार जीत दर्ज करने का दावा कर रही है। पार्टी को हिंदुत्व वोटों के अलावा राज्य में पिछले कई सालों में किए गए ‘विकास’ पर भरोसा है। बीते नौ महीनों में दो लाख करोड़ के प्रोजेक्ट्स गुजरात को मिलने से भी पार्टी काफी खुश है। किसी भी एंटी-इंकमबेंसी से निपटने के लिए पार्टी ने 38 विधायकों के टिकटों को काट दिया है।

वहीं, राज्य में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सक्रिय हैं और यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले ही दिन 11 मार्च को ही एक रोड शो भी किया। सिंचाई, स्वास्थ्य देखभाल और शैक्षिक परियोजनाओं के अलावा, प्रधानमंत्री ने इस बार गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों और रक्षा एक्सपो 2022 सहित दो प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी उद्घाटन किया।

पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन की गई परियोजनाओं में 26 जनवरी, 2001 को भूकंप में मारे गए 13,000 लोगों की याद में कच्छ में स्मृति वन स्मारक और वडोदरा में एयरबस और टाटा समूह द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित की जाने वाली एक विमान निर्माण सुविधा भी शामिल है। यह दिखाता है कि गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद राज्य के लिए कितना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और राज्य के विकास के लिए तत्पर हैं।

अब तक बीजेपी का गुजरात में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में था, जो उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे। तब पार्टी को 127 सीटें मिली थीं। 1985 में माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा अब तक की सबसे अधिक 149 सीटें जीती गई थीं।

गुजरात चुनाव घोषित होने के बाद अपनी पहली चुनावी रैली में, पीएम मोदी ने 4 नवंबर को कपराडा में कहा, ”इस बार मैं पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ना चाहता हूं। (मुख्यमंत्री) भूपेंद्र (पटेल) का रिकॉर्ड मेरे से बड़ा होना चाहिए और मैं इसे हासिल करने के लिए काम करना चाहता हूं। इस रैली में प्रधानमंत्री ने पार्टी का चुनावी नारा ‘हमने यह गुजरात बनाया है’ को भी लॉन्च किया।

पिछले चुनाव से कैसे अलग है इस बार का चुनाव

गुजरात में इस बार हो रहा विधानसभा चुनाव पिछले चुनाव की तुलना में अलग है। यह 2012 के चुनावों से भी काफी अलग है जब मोदी मुख्यमंत्री थे और पार्टी ने ‘मैं मोदी का कार्यकर्ता हूं’ थीम के आसपास एक अभियान शुरू किया था। 2017 में, पार्टी के अभियान के नारे ‘हुन चू विकास, हुन चू गुजरात’ (मैं विकास हूं, मैं गुजरात हूं) का कांग्रेस के ‘विकास गांडो थयो छे’ (विकास बेकार हो गया) अभियान द्वारा जोरदार विरोध किया गया था।

पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर भी दी, लेकिन आखिरकार सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो सकी। 2012 के अभियान की तुलना में, बीजेपी इस बार एक समावेशी अभियान चला रही है, जहां लोगों को पिछले दो दशकों में गुजरात में किए गए विकास कार्यों के बारे में बताया जा रहा है। पार्टी गुजरात में 1995 से सत्ता में है।

पिछले कई बार की तरह इस बार भी गुजरात बीजेपी का पूरा कैंपेन पीएम नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द घूम रहा है। लेकिन इस बार पार्टी ने उम्मीदवारों पर भी काफी काम किया है। पार्टी ने सीनियर लीडर्स विजय रुपाणी और नितिन पटेल जैसों के टिकटों का काट दिया और नए चेहरों पर भरोसा किया।

इन चेहरों में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर आदि शामिल हैं। वहीं, 2017 से कांग्रेस के 16 विधायकों को बीजेपी ने अपने दल में शामिल किया, लेकिन उसमें से सिर्फ 11 को ही इस बार मैदान में उतारा है। इससे पता चलता है कि पार्टी सिर्फ जिताऊ कैंडिडेट को लेकर ही चल रही है।

भाजपा का फोकस सौराष्ट्र और कच्छ पर है, जहां 2017 में पार्टी को 54 में से केवल 23 सीटें मिली थीं और कांग्रेस ने मुख्य रूप से पाटीदारों द्वारा नौकरी में आरक्षण की मांग के आंदोलन के कारण 30 पर जीत हासिल की थी। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 10% आरक्षण के साथ अब यह मुद्दा सुलझ गया है। पार्टी का मानना है कि पटेल, जिन्हें भाजपा का पारंपरिक मतदाता माना जाता है, उनके पाले में लौट आएंगे, जिससे पार्टी को इन क्षेत्रों में जीत हासिल करने में मदद मिलेगी।

AAP बनी नई दावेदार

2017 के चुनावों में अगर कांग्रेस बेरोजगारी, पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण के अधिकार, किसानों के मुद्दों और नोटबंदी जैसे मुद्दों को उठा रही थी, तो इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भ्रष्टाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठा रही है। राज्य में आम आदमी पार्टी इस बार पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है।

AAP ने भाजपा के गढ़ में लोकप्रियता हासिल की है, जिसमें विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने पर मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा, बेरोजगार युवाओं को मासिक वजीफा और 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए ‘गारंटी’ की घोषणा की गई है। 2021 में स्थानीय निकाय चुनावों में, भाजपा ने 8,470 सीटों में से 6,236 सीटें जीतीं, प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ने 1,805 सीटें जीतीं और आप ने 42 सीटों पर जीत हासिल की।

हालांकि, भाजपा का मानना है कि ‘आप’ इसे चुनौती नहीं दे पाएगी क्योंकि स्थानीय निकाय चुनावों में शायद ही कभी सफलता बड़े चुनावों में जीत में तब्दील होती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जो गुजरात से भी हैं, ने बुधवार को कहा कि राज्य के इतिहास में मुकाबला हमेशा द्विध्रुवीय रहा है और चुनाव के बाद तीसरी पार्टी गायब हो गई थी।

उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है और आप कहीं नहीं है।” बीजेपी के एक अन्य नेता ने बताया, ”आप कांग्रेस के वोटों में कटौती करेगी जो अंततः भाजपा की सीट की संख्या में वृद्धि करेगी। ओबीसी वोट, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा पिछली बार कांग्रेस को गया था, आप और कांग्रेस के बीच विभाजित हो जाएगा।” कुल वोट शेयर में ओबीसी की हिस्सेदारी करीब 42 फीसदी है।

हिंदुत्व पर बीजेपी को भरोसा

गुजरात में बीजेपी को हिंदुत्व पर काफी भरोसा रहा है। पार्टी को बड़ी संख्या में वोट मिलते रहे हैं। इस बार भी हिंदुत्व का मुद्दा छाया हुआ है। पिछले महीने जब दिल्ली के पूर्व मंत्री और आप नेता राजेंद्र पाल गौतम एक कार्यक्रम में शामिल हुए तो बवाल मच गया। आननफानन में उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा, लेकिन बीजेपी ने इसका फायदा गुजरात में उठाया।

पार्टी ने कई जगह अरविंद केजरीवाल के ऐसे पोस्टर लगाए, जिसमें उन्हें मुस्लिम टोपी पहने हुए दिखाया गया। इन बैनरों के माध्यम से केजरीवाल की छवि को हिंदू विरोधी दिखाने की कोशिश की गई।

इसके अलावा, अक्टूबर के पहले सप्ताह में, गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले के बेयत द्वारका द्वीप में 50 से अधिक अवैध संरचनाओं को पांच दिनों तक चले एक ऑपरेशन में ध्वस्त कर दिया गया था। उनमें से ज्यादातर मुस्लिम समुदाय से संबंधित स्थल थे। इसी तरह का अभियान पोरबंदर और गिर सोमनाथ क्षेत्रों जैसे तटीय क्षेत्रों में चलाया गया। ये सभी सौराष्ट्र में हैं।

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