पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा एवं अन्य के विरुद्ध आए फैसले पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता , पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक अजय चंद्राकर ने दुर्ग जिला भाजपा कार्यालय मे आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि

(1) ACB/ EOW द्वारा दिनांक 17.01.2024 को पूर्ववती कांग्रेस सरकार के समय राज्य में हुए शराब घोटाले के संबंध में FIR दर्ज कर विवेचना प्रारंभ किया गया था। FIR के अनुसार आबकारी विभाग की मुख्य जिम्मेदारिया शराब की आपूर्ति को विनियमित करना, जहरीली शराब की त्रासदियों को रोकने के लिए उपयोगकर्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शराब सुनिश्चित करना और राज्य के लिए राजस्व अर्जित करना है। लेकिन अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के नेतृत्व वाले आपराधिक सिंडिकेट ने इन उद्देश्यों पर पानी फेर दिया है। उन्होंने शराब नीति को अपनी सनक और पसंद के अनुसार व्यवस्थित रूप से बदल दिया है और अपने लिए अधिकतम व्यक्तिगत लाभ उठाया है। सीएसएमसीएल की स्थापना असली शराब उपलब्ध कराने, अवैध शराब की बिक्री रोकने, एमआरपी पर शराब उपलब्ध कराने की दृष्टि से की गई थी।

(2) राज्य सरकार में बदलाव के कारण सीएसएमसीएल का प्रबंधन बदल गया और यह सिंडिकेट के हाथों में एक उपकरण बन गया, जिसने इसका इस्तेमाल समानांतर व्यवस्था को लागू करने के लिए किया। फरवरी, 2019 में, अरुणपति त्रिपाठी (आईटीएस अधिकारी) को सीएसएमसीएल का नेतृत्व करने के लिए सिंडिकेट द्वारा चुना गया था और बाद में मई 2019 में अनवर ढेबर के आदेश पर उन्हें संगठन का प्रबंध निदेशक बनाया गया था। साजिश के हिस्से के रूप में, अरुणपति त्रिपाठी को मेसर्स सीएसएमसीएल द्वारा खरीदी गई शराब पर एकत्रित रिश्वत कमीशन को अधिकतम करने और सीएसएमसीएल द्वारा संचालित दुकानों के माध्यम से गैर-शुल्क भुगतान वाली शराब की बिक्री के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का काम सौंपा गया था।

(3) EOW की जांच के दौरान, यह पता चला है कि छत्तीसगढ़ राज्य में एक आपराधिक सिंडिकेट काम कर रहा था जो शराब की बिक्री में अवैध कमीशन वसूल रहा था और सरकारी शराब की दुकानों के माध्यम से बेहिसाब शराब की अनधिकृत बिक्री में भी शामिल था। अनुमान है कि संदिग्धों द्वारा लगभग 2161 करोड़ रुपये की अपराध आय अर्जित की गई है। जांच से पता चला है कि सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ राज्य में 3 अलग-अलग तरीकों से शराब की बिक्री से अवैध धन एकत्र किया है। रिकॉर्ड रखने के लिए सिंडिकेट ने ही अवैध परितोषण को मोटे तौर पर 3 भागों में वर्गीकृत किया है:

भाग-ए: छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री (आधिकारिक) के लिए शराब आपूर्तिकर्ताओं से अवैध कमीशन लिया गया।

भाग-बी: राज्य द्वारा संचालित ऑफ-द-रिकॉर्ड बेहिसाब अवैध देशी शराब की बिक्री .यह डिस्टिलर्स, होलोग्राम निर्माणकर्ता की सक्रिय भागीदारी से किया गया था.इसमें बोतल निर्माता, ट्रांसपोर्टर, जनशक्ति प्रबंधन और जिला उत्पाद शुल्क अधिकारी भी शामिल थे |

भाग-सी: डिस्टिलर्स द्वारा उन्हें कार्टेल संचालित करने और राज्य में बाजार हिस्सेदारी को आपस में विभाजित करने की अनुमति देने के लिए वार्षिक कमीशन भुगतान किया गया |

(4) EOW द्वारा दर्ज FIR और विवेचना को चुनौती देते हुए अनिल टूटेजा, यश टूटेजा, अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, निरंजन दास, नीतेश पुरोहित आदि द्वारा High Court में petitions फाइल की गयी थी.

(5) चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीज़न बेंच ने अपने आदेश दिनांक 20 अगस्त 2024 द्वारा आरोपियो द्वारा दायर सभी याचिकाओ को ख़ारिज कर दिया गया |

(6) न्यायलय द्वारा यह कहा गया है संबंधित एफआईआर के अवलोकन से, यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा नहीं किया गया है। इसके अलावा, जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि अभियुक्तों/याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अपराधों की प्रकृति से राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है और अपराध की अनुमानित आय लगभग रु। 2161 करोड़. एफआईआर में नौकरशाहों, राजनेताओं, व्यापारियों और अन्य व्यक्तियों सहित 70 नामित व्यक्ति हैं और वर्तमान में यह एक संगठित अपराध का मामला है जिसे जांच एजेंसियों द्वारा तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है। राज्य पुलिस प्रतिवादी राज्य/एसीबी ईओडब्ल्यू या ईडी की कोई भी कार्रवाई पीएमएलए के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन या सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं पाई गई है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं विधायक श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि शराब घोटाले पर पिछले दिनों आए उच्च न्यायालय, बिलासपुर के एक महत्वपूर्ण फैसले में भाजपा द्वारा इन अपराधियों के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों की एक बार फिर से पुष्टि हुई है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि एक संगठित अपराध की तरह इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था, ऐसा लग रहा है।

न्यायालय ने ईडी, एसीबी, ईओडब्लू आदि की जांच आदि के काम में किसी भी तरह की अनियमितता के तमाम आरोपों को ख़ारिज कर दिया है, इससे यह एक बार फिर यह साबित हुआ है कि कांग्रेस अपने अपराधों को छिपाने के लिए लगातार एजेंसियों पर हमलावर थी।

श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि

सवाल केवल शराब घोटाले का ही नहीं है, इसी तरह कोयला घोटाले से लेकर हाल के बलौदाबाजर उपद्रव तक जिसमें आरोपी कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को सात दिन के न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं विधायक अजय चंद्राकर ने आगे कहा कि इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री की करीबी अफ़सर सौम्या चौरसिया पर तो सर्वोच्च अदालत ने ज़मानत मांगने पर उल्टे एक लाख रुपया का जुर्माना भी लगा दिया था।

इससे अधिक पुख़्ता और क्या-क्या साक्ष्य चाहिए यह साबित करने के लिए कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने अपने सिपहसालरों के माध्यम से जम कर न केवल छत्तीसगढ़ को लूटा बल्कि पूरी कांग्रेस सरकार एक अंडरवर्ल्ड और माफिया जैसा चल रही थी। एक मोटे आकलन के अनुसार पचास हज़ार करोड़ से अधिक का घोटाला अपने पांच सालों के शासन में कांग्रेस ने किया। इसका सरग़ना निस्संदेह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे, जिन्हें एजेंसियों ने पोलिटिकल मास्टर’ कहा है।

इस फ़ैसले से सबक लेते हुए कांग्रेस को चाहिए कि अनावश्यक रूप से भाजपा पर, जांच एजेंसियों पर, न्यायालय तक के खिलाफ विषवमन करना छोड़ कर मुक़दमों का सामना करें। प्रदेश की जनता के संसाधनों को लूट कर दस जनपथ का एटीएम बन जाने की सजा कांग्रेस को अवश्य मिलेगी, कोई भी हथकंडा कांग्रेसी अपराधियों को बचा नहीं सकती है। लाख अराजकता फैला ले कांग्रेस, किंतु क़ानून के हाथ इनके शिकंजे तक पहुँचे बिना नहीं रहेगी।

जनता को न्याय दिलाने, उनके संसाधनों को लूटने वालों को जेल के सीखचों के पीछे पहुँचने से जॉर्ज सोरोस या राहुल गांधी समेत दुनिया को कोई ताक़त उन्हें रोक नहीं सकती। आयोजित प्रेस वार्ता में भाजपा जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा, विधायक डोमन लाल कौर्सेवाडा, ललित चंद्राकर, गजेंद्र यादव, महामंत्री सुरेंद्र कौशिक, उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार पाध्याय, दिलीप साहू, मीडिया प्रभारी राजा महोबिया, सोशल मीडियाल प्रभारी रजनीश श्रीवास्तव, सह प्रभारी नारायण दत्त तिवारी उपस्थित रहे।

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