
रायपुर में सामने आया संविदा कर्मियों के वेतन भुगतान का फर्जीवाड़ा
रायपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर में वित्तीय अनियमितताओं और नियमों की अनदेखी का गंभीर मामला सामने आया है। विभाग की कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती निशा मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने सेवा से हटाए गए 9 संविदा कर्मियों को नियमों के विरुद्ध लाखों रुपए का वेतन भुगतान किया।
हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर दी गई पेमेंट
2022 में गोपनीय प्रतिवेदन के मूल्यांकन के आधार पर 9 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। इनमें से कई कर्मियों को “ख, ग, घ” श्रेणी में मूल्यांकन किया गया था, जो संविदा विस्तार के अयोग्य माने जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद, कार्यक्रम अधिकारी द्वारा बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति लिए वेतन जारी कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने दिया था पुनर्विचार का निर्देश, पर अधिकारियों ने की मनमानी
हालांकि, संविदा कर्मियों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर न्यायालय ने पुनर्विचार का आदेश दिया। इसके बावजूद, कार्यक्रम अधिकारी ने प्राधिकृत समिति की बैठक से पहले ही वेतन भुगतान कर दिया, और वह भी अपने अधीनस्थों पर दबाव डालक
जांच रिपोर्ट में खुलासा: मृत कर्मचारी को भी वेतन, 7 लाख का गबन
RTI और आंतरिक जांच में सामने आया कि एक मृत कर्मचारी नवनीत कुमार स्वर्णकार को भी अवैध भुगतान किया गया। वहीं, एक अन्य कर्मचारी दुष्यंत निर्मलकर पर करीब ₹7 लाख के गबन का आरोप है, जिसे उसने अपने निजी खाते में ट्रांसफर किया।
समिति की स्पष्ट अनुशंसा के बावजूद जानकारी दबाई
जिला स्तरीय समिति ने 2024 में 3 बैठकों के बाद साफ तौर पर इन कर्मियों की सेवा समाप्त करने की सिफारिश की थी। लेकिन कार्यक्रम अधिकारी ने जानबूझकर इस रिपोर्ट को कलेक्टर या सक्षम प्राधिकारी को नहीं भेजा, जिससे भ्रष्टाचार और बढ़ गया।
