पहले भी नहीं हुआ तो लोग मिस गाइड करते हैं कि ऐसा करो तो आपकी बात मान ली जाएगी. नियमितीकरण करने में क्या दिक्कत हो रही है, इस सवाल पर मंत्री सिंहदेव ने कहा, नियमितीकरण की मांग है. इसमें पेंच यह है कि जो केंद्र सरकार से राशि मिलती है नेशनल हेल्थ मिशन में वो हमें नहीं मिलेगी. ऐसे में राज्य सरकार के ऊपर सीधा सीधा 5 सौ करोड़ का भार आ जाएगा. जैसे चल रहा है 40 और 60 पर्सेंट का रेशियो इसी में हम सेवा ले सकते हैं. जो उदाहरण देते मिजोरम का है एक राज्य का है. मैंने प्रस्ताव दिया था कि क्या इनको नेशनल हेल्थ मिशन में रखते हुए इनके लिए कुछ किया जा सकता है.

आप के घोषणा पत्र में नियमितीकरण करने की घोषणा थी, फिर क्यों नहीं, इस पर सिंहदेव ने कहा, कैबिनेट की बैठक में चीफ सेक्रेटरी को निर्देशित किया गया था कि सभी यूनियन के इस संगठन के लोगों से बातचीत करें. इसके बाद आगे क्या किया जा सकता है क्या नहीं किया जा सकता है, यह तय किया जाएगा. एस्मा लगाया गया है क्या अब कार्रवाई होगी, इस पर स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा, मैं तो आग्रह करूंगा कि वो काम पे आ जाए. अब सिर्फ उनकी वेतन और नियमितीकरण की बात नहीं है. अब लोगों की जीवन की बात है, उनकी सेवा की बात है. आपने अपनी बात रख ली वो सुन लिया गया. हड़ताल ही रास्ता नहीं हो सकता. आप देख सकते हो कि अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर लगभग एक साल से महिलाएं हड़ताल पर बैठी हैं.

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