
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी कर रहे 723 ITI प्रशिक्षण अधिकारियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वर्ष 2012 में नियुक्त इन अधिकारियों को अब, 12 साल बाद आरोप पत्र जारी कर सेवा समाप्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिससे राज्यभर के अधिकारियों में आक्रोश और असमंजस की स्थिति बन गई है।
12 साल पुरानी भर्ती पर कार्रवाई! कोर्ट के आदेशों के बाद भी फिर से आरोप पत्र

प्रशिक्षण अधिकारियों की नियुक्ति 2012 में हुई थी।
2021 में राज्य शासन ने आरक्षण नियमों में त्रुटि का हवाला देते हुए सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ अधिकारियों ने बिलासपुर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां दोनों अदालतों ने उनके पक्ष में निर्णय दिया।
अब, अधिकारियों का आरोप है कि पुराने तथ्यों के आधार पर दोबारा आरोप पत्र जारी किया जाना न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है।
मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से लगाई नौकरी बचाने की गुहार
इस मामले में आईटीआई कर्मचारी अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री समेत विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को ज्ञापन सौंपा है।
इस दौरान संघ के प्रमुख पदाधिकारी जैसे:
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श्री विनोद कुमार साहू (प्रांताध्यक्ष)
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गोविंद देवांगन, गुमान साहू, संदीप पाठक
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पूजा मरकाम, जागृति दीवान, पवन बारले सहित
कई अन्य सदस्यों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी | जल्द होगा प्रेस वार्ता में ऐलान
प्रांताध्यक्ष विनोद कुमार साहू ने कहा,
“यह न्यायिक निर्णयों का खुला उल्लंघन है। यदि शासन ने कार्रवाई वापस नहीं ली, तो हम जल्द ही प्रदेशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।”
उन्होंने कहा कि शासकीय तृतीय कर्मचारी संघ और अन्य संगठन भी समर्थन में उतरेंगे।
जल्द ही एक प्रेस वार्ता के जरिए आंदोलन की रूपरेखा जारी की जाएगी।
मानसिक तनाव में अधिकारी | भविष्य को लेकर चिंता बढ़ी
कई अधिकारियों ने मीडिया से कहा कि वे इस अनिश्चितता की स्थिति में मानसिक रूप से परेशान हैं।
भर्ती के 12 साल बाद कार्रवाई, वह भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, कहीं न कहीं सरकारी तंत्र की गंभीर खामी को उजागर करता है।
