नई दिल्ली. पिछले कुछ समय से पब्लिक सेक्टर के बैंकों के निजीकरण के मसले पर जोर शोर से चर्चा हो रही है. केंद्र सरकार ने बैंकिंग सुधारों के अंतर्गत कई बड़े सरकारी बैंकों का विलय करते हुए महज तीन सालों के भीतर ही सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों को 12 बैंकों में समेट दिया है. वैसे सरकार ने यह भी कहा है कि निजीकरण के मुद्दे को लेकर बैंकिंग क्षेत्र को रणनीतिक क्षेत्र के रूप में मान्यता रहेगी.
बैंकों के निजीकरण को लेकर एक बार फिर खबरें तेज हो गई हैं. बैंकों को लेकर भारत सरकार की तरफ से बड़ी प्लानिंग करने की तैयारी की जा रही है.
इसी सिलसिले में नीति आयोग ने एक लिस्ट भी जारी की है, जिसमें बताया गया है कि आने वाले समय में किन बैंकों का निजीकरण होगा और किन्हें लिस्ट से बाहर रखा जाएगा.
इन बैंकों का नहीं होगा निजीकरण
नीति आयोग के द्वारा जारी की गई लिस्ट के मुताबिक, सरकार पंजाब नेशनल बैंक (PNB), यूनियन बैंक (Union Bank), केनरा बैंक (Canara Bank), एसबीआई (SBI) , बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) और इंडियन बैंक (Indian Bank) का निजीकरण नहीं करेगी.
निजीकरण की लिस्ट में ये हैं शामिल
इसी के साथ आयोग ने नोटिस में यह भी लिखा है कि देश के जो भी बैंक कंसोलिडेशन का हिस्सा था, उन सभी बैंकों का निजीकरण की लिस्ट से बाहर रखा जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट भाषण में घोषणा की गई थी कि सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाएगा. सरकार द्वारा घोषित FY22 के लिए मौजूदा विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये है.
इस बैंक का होगा निजीकरण
सरकार और LIC मिलकर आईडीबीआई बैंक में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश में जुटी है. पिछले महीने सरकार ने कहा था कि विदेशी फंड और निवेश फर्मों के एक कंसोर्टियम को आईडीबीआई बैंक के 51 फीसदी से अधिक की ओनरशिप की हासिल करने की अनुमति देगी. सूत्रों ने कहा कि निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) 2023 की शुरुआत में आईडीबीआई बैंक के लिए वित्तीय बोलियां आमंत्रित कर सकता है.