रायगढ़। आदिवासी विकास विभाग में अपात्र नियमित कर्मचारियों को नियम विरुद्ध जाकर नियमित करने के मामले में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग अविनाश श्रीवास को निलंबित किया गया है। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की सचिव शम्मी आबिदी ने सहायक आयुक्त के निलंबन के आदेश जारी किए हैं। ज्ञातव्य है कि 5 साल पहले बिलासपुर जिले में भी 40 कर्मचारियों की भर्ती व पदोन्नति में गड़बड़ियों के चलते अविनाश श्रीवास्तव निलंबित किया गया था।

रायगढ़ जिले के आदिवासी विभाग अंतर्गत संचालित छात्रावास में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी रसोईया, सफाई कर्मी, भृत्य, माली आदि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नियमितीकरण में धांधली की बात सामने आई थी। 2012-13 में आदिवासी विकास विभाग के छात्रावास, आश्रम, दफ्तर में 450 से अधिक भर्तियां हुई थी। सभी लोगों ने ड्यूटी जॉइन कर ली। दस्तावेजों के परीक्षण के दौरान 246 लोगों की अंकसूची समेत दस्तावेज फर्जी पाए गए थे। इसकी जांच व सत्यापन के लिए फाइल जिला शिक्षा विभाग को भेजी गई थी। जांच में 2 लोगों पर एफआईआर में हुई थी। पर बाकी लोगों पर ना तो कार्यवाही हुई ना ही उनकी नियुक्ति निरस्त की गई। जांच के नाम पर बाकी लोगों की फाइल अफसरों ने दबा दी।

जांच के नाम से लंबे समय से कार्यवाही नही हुई। फिर लंबे समय से कार्य करने के चलते उन अनियमित कर्मचारियों ने नियमित करने हेतु दावा ठोंक दिया। सहायक आयुक्त अविनाश श्रीवास ने बिना दस्तावेजों का सत्यापन करवाये बोगस दस्तावेजों जमाकर नियुक्त हुए कई लोगों को नियमित कर दिया। जबकि दस्तावेजों के शिक्षा विभाग से सत्यापन के बिना नियुक्ति नही होनी थी,यह प्रक्रिया का हिस्सा था।

मामलें की शिकायत आदिम जाति विभाग की सहायक आयुक्त शम्मी आबिदी तक पहुँची थी। जिस पर उन्होंने इसकी जांच करवाई। और जांच में प्रथम दृष्टया नियमों के विपरीत प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए अनियमित कर्मचारियों को नियमित करना पाया गया। जिसके चलते आदिवासी विकास विभाग के सहायक संचालक अविनाश श्रीवास ( प्रभारी सहायक आयुक्त रायगढ़) को निलंबित कर कार्यालय आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित विकास नया रायपुर अटल नगर में अटैच किया गया है।

बताया जाता है कि इसमें शिक्षा विभाग के अफसरों की भी मिलीभगत है। आदिम जाति विभाग से भेजे गए दस्तावेजों का सत्यापन शिक्षा विभाग ने सालों तक नहीं किया, ना ही शिक्षा विभाग को इसकी फाइल लौटाई। और ना कोई कार्यवाही की। 2 साल पहले भी जब आदिम जाति विभाग ने नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की तब भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं। जिसके चलते उनकी भी शिकायत की गई है।

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