ASEAN Summit 2025: मलेशिया में न्यूजीलैंड के PM लक्सन और मलेशियाई विदेश मंत्री से मिले एस. जयशंकर

कुआलालंपुर में कूटनीतिक मुलाकातें, भारत के रिश्तों को नई मजबूती

कुआलालंपुर (मलेशिया): भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने मलेशिया दौरे के दौरान न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और मलेशिया के विदेश मंत्री मोहम्मद हाजी हसन से अलग-अलग मुलाकात की।
ये दोनों बैठकें आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन 2025 से इतर हुईं, जिनमें द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन से मुलाकात

जयशंकर ने न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
उन्होंने कहा कि भारत न्यूजीलैंड के साथ मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Free and Open Indo-Pacific) के लिए सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
जयशंकर ने ‘एक्स (X)’ पर पोस्ट करते हुए लिखा –

“हमारे द्विपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ करने और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए न्यूजीलैंड की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं।”

मलेशिया के विदेश मंत्री से ‘गर्मजोशी भरी’ बातचीत

जयशंकर ने अपने मलेशियाई समकक्ष मोहम्मद हाजी हसन के साथ बैठक को गर्मजोशी भरी और सार्थक बताया।
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने द्विपक्षीय सहयोग, व्यापारिक साझेदारी और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा की।
जयशंकर ने कहा कि बैठक के दौरान म्यांमार की स्थिति पर भी विचार-विमर्श हुआ।
उन्होंने मलेशियाई मंत्री को आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों की सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दीं।

ASEAN Summit 2025 की मेजबानी कर रहा है मलेशिया

इस वर्ष मलेशिया आसियान का वर्तमान अध्यक्ष है और वह कुआलालंपुर में आसियान शिखर सम्मेलन व संबंधित बैठकों की मेजबानी कर रहा है।
ASEAN (Association of Southeast Asian Nations) दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे प्रभावशाली संगठन है, जिसमें 11 देश शामिल हैं।
भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया इसके डायलॉग पार्टनर (Dialogue Partners) हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक साझेदारी में अहम भूमिका निभाते हैं।

भारत की विदेश नीति में ASEAN की अहम भूमिका

भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East Policy)” के तहत आसियान देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी जाती है।
जयशंकर की ये बैठकें इस नीति के तहत भारत की रणनीतिक कूटनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करती हैं।

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