नई दिल्ली [ News T20 ] | ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMI) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया है कि मुस्लिम समुदाय दो बच्चों के जन्म में अंतराल बनाए रखने के लिए कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करता है। औवैसी का यह बयान जनसंख्या असंतुलन को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी पर आया है। औवैसी का कहना है कि देश में मुसलमानों की आबादी नहीं बढ़ रही है। मुसलमानों में टीएफआर (कुल प्रजनन दर) घट रही है। ओवैसी ने कहा कि कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कौन कर रहा है? हम इसका उपयोग कर रहे हैं।
समान जनसंख्या नीति की वकालत –
दरअसल नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली में मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को व्यापक विचार विमर्श के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए। यह नीति सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। भागवत ने कहा था कि समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वाकई में मुस्लिम सबसे अधिक कंडोम का यूज कर रहे हैं। हालांकि, मुस्लिमों के कंडोम के यूज को लेकर कोई सरकारी रिपोर्ट नहीं है। देश में कंडोम के यूज को लेकर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आईं थीं।
हर 10 में एक आदमी ही करता है कंडोम का यूज –
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 (2019-2021) के अनुसार, भारत में हर 10 में से सिर्फ एक पुरुष ही कंडोम का यूज करता है। वहीं, हर 10 में से लगभग चार महिलाएं गर्भधारण से बचने के लिए नसबंदी करवाती हैं। इससे यह जाहिर होता है कि महिला नसबंदी अभी भी देश में जारी है। NFHS के अनुसार, देश में केवल 9.5% पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।
वहीं, देश में 37.9% महिलाओं ने नसबंदी करवाई। हालांकि, गांवों की तुलना में शहरों में कंडोम का यूज बेहतर है। ग्रामीण भारत में 7.6% पुरुष और शहरी भारत में 13.6 प्रतिशत पुरुष कंडोम का उपयोग करते हैं। वहीं, ग्रामीण भारत में 38.7% महिलाएं और शहरी भारत में 36.3% महिलाएं नसबंदी कराती हैं। देश में कंडोम का यूज कम है क्योंकि फैमिली प्लानिंग को महिलाओं की जिम्मेदारी माना जाता है। पुरुषों के लिए, सेक्स विशुद्ध रूप से आनंद के लिए है। महिलाओं के लिए, यह अक्सर या तो प्रजनन के बारे में होता है, या इसमें गर्भवती होने का डर शामिल होता है।
मुस्लिमों की प्रजनन दर में 47% कमी –
देश में मुसलमानों की आबादी लगभग 20 करोड़ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में देश में प्रजनन दर में कमी दर्ज की गई है। 1992 के बाद से अब तक देखें तो मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे अधिक 47 प्रतिशत की कमी हुई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-1 (1992-93 )में मुसलमानों की कुल प्रजनन दर 4.4 थी। वहीं, NFHS-5 में मुस्लिमों की टीएफआर घटकर 2.3 पर आ गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ओवरऑल बच्चे पैदा करने की रफ्तार 2.2% से घटकर 2% रह गई है। मुस्लिम वर्ग के प्रजनन दर में तेज गिरावट दर्ज की गई है। मुसलमानों में एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच 2.62 से 2.36 तक 9.9% की सबसे तेज गिरावट देखी गई है। आंकड़ों से साफ है कि परिवार नियोजन की तरफ मुस्लिम अब तेजी से मुड़ रहे हैं।