भिलाई / इस्पात नगरी भिलाई के एक स्लम एरिया केम्प 2 महात्मा गांधी नगर वार्ड 36 में लगभग दो साल पहले अपने जीवन के नए सपने लेकर ब्याह कर भिलाई आई पूनम गुप्ता अभी केवल लगभग 20 साल की थी ,न जाने अपने दिलो में क्या क्या सपने संजोकर छत्तीसगढ़ के इस्पात नगरी भिलाई में अपना दाम्पति जीवन जीने अनिल गुप्ता के साथ शादी कर आई थी । अभी हाथों की मेहंदी भी ठीक से मिटी नही थी भगवान ने उन्हें और उनके पति अनिल गुप्ता को माता पिता बनाकर इस संसार मे एक नन्ही परी का गुप्ता परिवार में जन्म हुआ ,लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि जिस घर मे उनका जन्म हो रहा है वहा कंस जैसे दुष्ट लोगो से उसका सामना होगा ।
सभी धर्मों के पवित्र ग्रन्थ चाहे गीता हो ,रामायण हो ,कुरान हो ,बाइबिल या फिर गुरुग्रन्थ साहेब सब मे यही कहा है बेटी ही संसार है ,बेटी ही दुनिया को चलाती है, बेटी है तो दुनिया है ,, बेटी नही नही तो दुनिया नही , बेटी है तो बहन है, बेटी है तो पत्नी है,बेटी है तो मां है ,, लेकिन भिलाई के एक गुप्ता परिवार को ये सब कुछ भी समझ नही आया , उन्हें शायद बेटे में ही दुनिया दिखाई दिया और बेटी के पैदा होते ही पूनम जैसी शुशील और सुंदर बहु को को उसका पति अनिल , सास शैल गुप्ता, ससुर उमाशंकर गुप्ता,जेठ संजय गुप्ता ,जेठानी सालनि गुप्ता, ननद ज्योति गुप्ता ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया ।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार तो भिलाई के इस गुप्ता परिवार ने अपनी बहू को शुरुआती दिनों से ही दहेज के लिए यातना देना शुरू कर दिया था लेकिन पूनम ये सोच कर सब कुछ सहन करती रही कि शायद एक बच्चा आने के बाद सब ठीक हो जाएगा ।पूनम को क्या मालूम था कि बेटी के पैदा होते ही उस पर ससुराल वालो का अत्याचार और बढ़ जाएगा । आखिर वही हुआ जिसकी कल्पना न ही पूनम ने किया था न उनके मायके वाले और न ही मोहल्ले वाले ।
14,15 मार्च 2023 की दरमियानी रात जब पूरा शहर सो रहा था पूनम तड़फ रही थी ,पूनम अपने ससुराल पक्छ की यातना को बर्दाश नही कर पाई और मात्र 2 माह की मासूम दुधमुंही बच्ची को अंतिम बार अपने सीने से लगाने के बाद स्वयं अपने शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ उड़ेल कर अपने आप को आग के हवाले कर दिया । पूनम एक सप्ताह तक भिलाई के सबसे बड़े अस्पताल मे जीवन और मृत्यु के के बीच संघर्ष करते हुए अंतिम सांसे ली । पूनम के गुजर जाने और पुलिस जांच पड़ताल के बाद पूनम के ससुराल वालों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज दिया । लेकिन सवाल अब भी वही खड़ा था कि ये 2 माह की मासूम बेटी ने क्या गुनाह किया है जिसे न दूध मिल रहा है न मा का प्यार ।
ऐसे में इस मासूम बच्ची के लिए उसके नाना नानी भगवान बन कर आये ।उनके पास इस मासूम बच्ची को अपने साथ ले जाने के अलावा और कोई रास्ता नही था । भिलाई से लगभग 400 किलोमीटर अम्बिकापुर ले जाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी लेकिन इसकी इसकी खबर जब महात्मा गांधी नगर के मोहल्ले वालों को लगी तो लगभग सबकी आंखे नम हो गई ,खासतौर पर महिलाएं तो उस बच्ची को सीने से लगा रोने लगी ,,कोई नही चाहता था कि मासूम बच्ची जिसका नाम उसकी स्वर्गवासी मा ने अर्पिता रखा था उसे अपने मोहल्ले से जाने दे लेकिन न चाह कर भी सबने तय किया कि इस बच्ची को यहां से ऐसे बिदा करे की ऊपर वाले भी देखे।
मोहले की महिलाये , पुरुष, बच्चे बुजुर्ग सब जुट गए इस दो माह की अर्पिता को बिदा करने , जिससे जो बना सबने कुछ न कुछ भेट किया ,कोई कपड़े दिया ,कोई रुपये ,कोई अन्य उपहार ,तो कोई रोते हुए अपनी दुआ दे रहे थे ,,ऐसा लग रहा था जैसे कोई बेटी अपने मायके से बिदा हो ससुराल जा रही हो। उस मासूम बच्ची अर्पिता के नाना अशोक गुप्ता, नानी गीता गुप्ता अपने साथ छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाके अम्बिकापुर के बौरी पारा ले गए ।लेकिन इस घटना ने भिलाई वासियों और सभ्य समाज को ये बता गया कि इस दुनिया मे ऐसे दरिंदे ससुराल वाले होंगें तो कौन अपने कलेजे के टुकड़े बेटी देगा। अंत मे वार्ड के पार्षद विनोद चेलक ने वार्डवासियों की ओर से नन्ही बच्ची को शुभकामनाएं देकर विदा किया।