ऊंची दुकान का फीका पकवान’ यह कहावत दुनिया की टॉप-5 कंपनियों में शुमार अमेजन (Amazon) पर बिलकुल फिट बैठती है. हाल में जारी एक रिपोर्ट में कंपनी के भारत के साथ दोहरे रवैये का खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेजन के भारतीय कर्मचारी खतरनाक हालात में काम करते हैं. उन पर न सिर्फ अनैतिक दबाव डाला जाता है, बल्कि पूरी तरह असुरक्षित माहौल में काम कराया जा रहा है. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे भी हैं, जो कंपनी के दोहरे रवैये की पोल खोलता है.

यूएनआई ग्‍लोबल यूनियन ने यह रिपोर्ट अमेजन इंडिया वर्कर्स एसोसिएशन (AIWA) के साथ मिलकर तैयार की है. यह पहली ऐसी रिपोर्ट है, जो भारत में काम करने वाले अमेजन के कर्मचारियों के वर्किंग कंडीशन पर बनाई गई है. रिपोर्ट को 1,838 लोगों से बातचीत करके तैयार किया गया है.

इसमें कहा गया है कि अमेजन के वेयरहाउस और डिलीवरी से जुड़े कर्मचारियों को बेहद खतरनाक हालात में काम करना पड़ता है. पिछले दिनों ऐसी रिपोर्ट भी आई थी कि दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में अमेजन कर्मचारी लू के थपेड़ों के बीच काम करने को मजबूर हैं. यह यूनियन दुनिया के 150 देशों में करीब 2 करोड़ कर्मचारियों की अगुवाई करता है.

क्‍या हैं रिपोर्ट के मायने

यूएनआई ग्‍लोबल यूनियन की महासचिव क्रिस्‍टी हॉफमैन ने कहा, भारतीय कर्मचारियों के हालात ने अमेजन को दुनियाभर में आईना दिखाया है. यह बिल्‍कुल साफ है कि कंपनी को अपनी कंडीशन इम्‍पूव करनी होगी. यूएनआई ग्‍लोबल यूनियन ने पिछले साल अमेरिका, जर्मनी और यूके स्थित अमेजन कर्मचारियों पर भी रिपोर्ट बनाई थी और यहां भी कर्मचारियों के खतरनाक माहौल में काम करने का खुलासा हुआ था.

किस तरह प्रताडि़त होते हैं कर्मचारी

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कंपनी के वेयरहाउस में काम करने वाले 5 में से 4 वर्कर्स का कहना है कि अमेजन की ओर से तय किया गया टार्गेट बहुत मुश्किल होता है और उसे पूरा करने के लिए अनावश्‍यक दबाव बनाया जाता है. इसके अलावा सिर्फ 21.3 फीसदी वेयरहाउस वर्कर्स और ड्राइवर का मानना है कि अमेजन में काम करना सुरक्षित है, शेष को ऐसा नहीं लगता है.

खाने-पीने का वक्‍त ही नहीं

आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेजन के वेयरहाउस में काम करने वाले 86.3 फीसदी वर्कर्स का कहना है कि कंपनी उन्‍हें खाने-पीने और रेस्‍टरूम यूज करने के लिए भी पर्याप्‍त समय नहीं देती. इसमें 28 फीसदी ड्राइवर का भी यही मानना है. इतना ही नहीं 5 में से 1 ड्राइवर का मानना है कि वे डिलीवर के दौरान दुर्घटना का शिकार बने और कंपनी की तरफ से उन्‍हें इलाज की सुविधा नहीं मिली.

कुछ कर्मचारियों ने बताया कि नौकरी के दौरान घायल होने पर उन्‍हें कोई सुविधा नहीं दी गई और कंपनी की ओर से रेस्‍पांस भी नहीं मिला. कुछ ने तो यह भी कहा कि वर्क प्रेशर में उन्‍हें कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

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