पृथ्वी पर यहां रहते हैं एलियन! अजीबोगरीब जानवरों से भरी है जमीन, पेड़ों से निकलता है खून!

क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी पर ही एक ऐसा कोना है जो दूसरे ग्रह जैसा लगता है? यमन के तट से 350 किलोमीटर दूर हिंद महासागर में बसी सोकोट्रा द्वीपसमूह को ‘एलियंस का घर’ या ‘गैलेपागोस ऑफ इंडियन ओशन’ कहा जाता है. यहां की प्रकृति इतनी विचित्र है कि वैज्ञानिक भी इसे ‘अद्भुत रहस्य’ मानते हैं. खासकर ड्रैगन ब्लड ट्री, जो चोट लगने पर लाल रस टपकाता है जैसे खून बह रहा हो और बोतल जैसे मोटे पेड़, जो रेगिस्तान में पानी जमा करते हैं.

लेकिन यह सिर्फ पेड़ों की बात नहीं है. यहां अजीबोगरीब जानवर भी ऐसे हैं जो कहीं और नहीं मिलते हैं. इस आइलैंड के हर कदम पर आपको आश्चर्य होने लगेगा. सोकोट्रा द्वीप, जो 3,796 वर्ग किलोमीटर में फैला है, प्राचीन गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा था. लाखों साल पहले यह अलग हो गया, जिससे यहां अनोखा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हुआ.

द्वीप की ऊंचाई 1,500 मीटर तक है, जहां हाज्हिर पर्वत श्रृंखला बादलों से ढकी रहती है. डिकसम पठार की चूना पत्थर की संरचनाएं ऐसी लगती हैं मानो कोई एलियन ने तराशी हो. क्वालानसिया बीच पर सफेद रेत और फ़िरोज़ा समुद्र मिलते हैं, जबकि देतवाह लगून में क्रिस्टल साफ पानी पक्षियों को आकर्षित करता है. लेकिन सबसे ज्यादा हैरान करने वाली है यहां की जैव विविधता – 37% पौधे, 90% सरीसृप और 95% स्थलीय घोंघे सिर्फ सोकोट्रा तक ही सीमित हैं. यहां तक कि यूनेस्को ने भी 2008 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया.

अजीबोगरीब चीजों का घर

ये आइलैंड अपने अजीबोगरीब पेड़-पौधों और जानवरों के लिए जाना जाता है. इसमें ड्रैगन ब्लड ट्री (ड्रैकेना सिनाबारी) सोकोट्रा का प्रतीक है. इसकी छतरी जैसी घनी डालियां और टेढ़ी-मेढ़ी शाखाएं किसी मशरूम जैसी एलियन संरचना की याद दिलाती है. जब इसकी छाल कटती है, तो गहरा लाल रस निकलता है, जिसे ‘ड्रैगन ब्लड’ कहा जाता है.

प्राचीन काल से इसका इस्तेमाल दवाओं, रंगों और वार्निश में होता रहा है. मिस्र के ममीकरण में भी इसका उल्लेख मिलता है. ये पेड़ रेगिस्तानी जलवायु में जीवित रहने के लिए पानी जमा करते हैं, लेकिन अब सूखा और चराई से इनकी संख्या घट रही है. द्वीप पर 5,000 से ज्यादा ये पेड़ हैं लेकिन अब इन्हें संरक्षण की जरूरत है.

सोकोट्रा के पेड़ सिर्फ ड्रैगन तक सीमित नहीं है. यहां डेजर्ट रोज (एडेनियम ओबेसम सोकोट्रानम) है, जिसका तना बोतल जैसा मोटा होता है – ऊपर पतला, नीचे फूला हुआ. यह जहरीला होता है, जिसमें कार्डियो टॉक्सिन्स भरे होते हैं. इसके अलावा ककड़ी का पेड़ भी आकर्षण का केंद्र है. (डेंड्रोसिसियोस सोकोट्रानस), जो ककड़ी परिवार का इकलौता वृक्ष है. इसका तना खीरे जैसा सूजा हुआ होता है जो रेगिस्तान में नमी बचाता है.

जानवर भी कम नहीं

ये तो हुई पेड़-पौधों की बात. इस द्वीप पर जीव-जंतुओं की दुनिया भी अनोखी है. सोकोट्रा में स्तनधारी कम हैं – सिर्फ चमगादड़ और दुर्लभ सिवेट बिल्ली. लेकिन सरीसृपों का राज है. 22 प्रजातियों में 19 स्थानीय हैं, जैसे सोकोट्रा चमेलियन (चमेलियो मोनाकस), जो रंग बदलकर छिप जाता है. गेको, स्किंक और अन्य छिपकली जैसी प्रजातियां नई-नई खोजी जा रही हैं.

कीटों में 90% स्थानीय – सोकोट्रान एम्परर तितली और डैमसेलफ्लाई जैसे जीव शामिल है. घोंघों की 98% प्रजातियां यहीं की है. पक्षियों के लिए ये आइलैंड स्वर्ग है। इसमें 225 प्रजातियां है, जिसमें 6 स्थानीय जैसे सोकोट्रा स्टारलिंग, सनबर्ड, बंटिंग और स्कॉप्स उल्लू शामिल है. मिस्र के गिद्धों की घनत्व यहां सबसे ज्यादा है. समुद्री जीवन में 730 मछलियां, 230 कठोर कोरल (5 स्थानीय) और 30 नरम कोरल हैं.

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