
टिटहरी पक्षी और मानसून का रहस्यमय रिश्ता
भारत में मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए परंपरागत ज्ञान की भूमिका अहम रही है। इन्हीं लोक मान्यताओं में एक है — टिटहरी पक्षी के अंडों से मानसून का अंदाजा लगाना।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में अब भी यह परंपरा ज़िंदा है, जहां किसान इस पक्षी के व्यवहार और अंडों की संख्या देखकर बारिश की अवधि और तीव्रता का अनुमान लगाते हैं।
क्या कहता है इतिहास और लोक ज्ञान
इतिहासकार डॉ. विकास खुराना बताते हैं कि शाहजहांपुर की जैव विविधता काफी समृद्ध रही है। ब्रिटिश गजेटियर में उल्लेख है कि यहां 400 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती थीं।
टिटहरी उन पक्षियों में से है जिसे किसान “प्राकृतिक मौसम वैज्ञानिक” मानते हैं। किसान आज भी इस पक्षी के अंडों की संख्या, स्थिति और स्थान के आधार पर फसल की बुआई का समय तय करते हैं।

कैसा होता है टिटहरी पक्षी?
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गोल सिर, छोटी चोंच और लंबे पैर
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घोंसला ज़मीन पर बनाता है, न कि पेड़ों पर
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आमतौर पर 2 से 5 अंडे देता है
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अंडों का रंग हल्का पीला, भूरे या बैंगनी धब्बों वाला
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तीन उंगलियों वाले पैर होते हैं
टिटहरी के अंडों से कैसे होती है बारिश की भविष्यवाणी?
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जितने अंडे, उतने महीनों की बारिश
(जैसे अगर 4 अंडे, तो 4 महीने बारिश मानी जाती है) -
खड़े अंडे → तेज बारिश
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लेटे हुए अंडे → धीमी बारिश
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ऊंचाई पर अंडे → भारी बारिश का संकेत
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नीची जगह पर अंडे → कम बारिश का अनुमान
यह ज्ञान वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है, लेकिन लोक संस्कृति में इसकी गहरी मान्यता है और पीढ़ी दर पीढ़ी इसका पालन होता आ रहा है।
इस साल शाहजहांपुर से क्या संकेत मिल रहा है?
इस वर्ष शारदा नहर के पास टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं और वह भी ऊंचाई वाली सतह पर। इसका मतलब है:
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चार महीने तक बारिश हो सकती है
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बारिश की तीव्रता अच्छी रहने की उम्मीद है
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किसानों के लिए यह खुशखबरी है क्योंकि अच्छी बारिश मतलब अच्छी फसल
