भिलाई नगर। अचानक बेटे के निधन पर समय की विडंबना को नम आंखों से स्वीकार सास-ससुर ने अपनी बहू को बेटी से भी बढ़ कर दुलारा, उसके दोनों बच्चे परिवार में सभी के लाडले हैं। फिर भी बच्चों के जीवन में माता पिता का संयुक्त स्नेह जितना जरूरी है उतना ही दाम्पत्य जीवन में अकेली रह गई बेटी के लिए पति का साथ भी आवश्यक है। बेटे के असमय जाने के बाद सबकुछ ठीक ही चल रहा था लेकिन अपनी बेटी समान बहू के भविष्य को लेकर सास ससुर ने चिंतन मनन किया और अपने समधी से इस संकल्प के लिए सहमति लेकर पुनर्विवाह के निर्णय को साकार रूप देने सभी मिलकर प्रयास करने लगे।
दुर्ग जिले के चौरड़िया और श्रीश्रीमाल परिवार को 18 महीने की तलाश बाद धमतरी जिले का रायसोनी परिवार मिला जिसकी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं को समाज से दूर करने की सोच हुबहू मेल खाती है नतीजतन दुर्ग जिले में 26 जनवरी 2023 गणतंत्र दिवस के दिन समाज को नई दिशा देने माता पिता और सास ससुर की पहल से खुशबू के पुनर्विवाह का मनोरथ पूरा होने जा रहा है।
निश्चित तौर पर यह विवाह समाज के लिए मिसाल बनेगा क्योंकि अपने बेटे के असमय निधन के बाद विधवा बहू का दर्द समझना, बेटी जैसी बहू का घर बसाने का संकल्प लेकर बेहतर से बेहतर रिश्ता तलाश शादी का जिम्मा उठाना और घर से बेटी की तरह विदा करना सचमुच अनूठा और समाज के लिए अनुकरणीय कदम ही है।
आपको बता दें कि जैन श्रीसंघ चरौदा के भूतपूर्व अध्यक्ष शांतिलाल शकुंतला देवी चौरड़िया ने अपने बेटे कमलेश की शादी दुर्ग निवासी पदमचंद ललिता देवी श्रीश्रीमाल की पुत्री खुशबू से की। पूरा परिवार बहुत खुश था क्योंकि बहू के रूप में एक लाडली बेटी उनके घर गृह लक्ष्मी बन कर आई। सबकुछ काफी अच्छा रहा मगर समय की विडम्बना ने कमलेश को मृत्यु की आगोश में ले लिया।
काल की इस गति को चौरड़िया परिवार ने ईश्वरीय शक्ति से सहन किया और बहू बन ससुराल आई खुशबू को बेटी की तरह लाड़ दुलार देने लगे।
खुशबू के भविष्य की चिन्ता करते हुए चौरड़िया परिवार ने खुशबू के मायके और समाज के लोगों से बात कर एक अनोखी और अनुकरणीय पहल की है। इस परिवार ने सामाजिक कुरीतियों से परे हट खुशबू के पुनर्विवाह का मन बनाया।
खुशबू के भविष्य को लेकर उनकी यह सोच सामाजिक दृष्टिकोण से जितनी क्लिष्टता लिए थी, उसे अमल में लाना उतना ही अधिक चुनौतिपूर्ण भी था। शांतिलालजी चौरड़िया और पदमचंदजी श्रीश्रीमाल ने मिलकर अपने इस मनोरथ को संकल्प बनाया और बेटी खुशबू के लिए योग्य वर की तलाश में निकल पड़े। लगभग डेढ़ वर्ष की तलाश के बाद धमतरी जिला के नगरी सांकरा निवासी स्व. लूनकरणजी पांची देवी रायसोनी के पुत्र विजय रायसोनी ने खुशबू को पत्नी और उसके दोनों बच्चे पर्व एवं रियांश को पुत्र के रूप में स्वीकार करने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए।
विदित हो कि 26 जनवरी 2023 को श्री जिनकुशल दादाबाड़ी मालवीय नगर दुर्ग में समाज तथा परिवार की सहभागिता से विजय और खुशबू परिणय सूत्र में बंध अपने संयुक्त नवजीवन पथ पर कदम रखने वाले हैं। पूरा वैवाहिक कार्यक्रम 26 जनवरी को दुर्ग में चौरड़िया, श्रीश्रीमाल और रायसोनी परिवार की जुगलबंदी और समाज के लिए अनुकरणीय शानदार और विशेष सुफल मनोरथ भरे संकल्प के साथ सम्पन्न होगा और मिल का पत्थर बनेगा।