कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच चीन में लॉकडाउन की अवधि को फिर से बढ़ा दिया गया है। लोगों को बृहस्पतिवार से लेकर पांच दिन तक अपने-अपने घरों में रहने को कहा गया है। शहर की सरकार ने संक्रमण से निपटने की कार्रवाई के तहत वहां व्यापक स्तर पर जांच के आदेश दिए हैं।
झोंगझोउ के बैयुन जिले में सोमवार को ही लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। व्यापक स्तर पर जांच किए जाने तक लोगों से घरों में रहने को कहा गया है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वह कुछ ऐसे बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीवों की लिस्ट अपडेट कर रहा है, जिनसे भविष्य में गंभीर बीमारियों या महामारी का खतरा हो सकता है।
इस प्रोजेक्ट के लिए दुनियाभर के 300 वैज्ञानिकों की टीम भी बनाई जा रही है। WHO की टीम Disease X पर खास नजर रखने वाली है। फिलहाल यह पूरी तरह से अज्ञात बीमारी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बीमारी इंसानों के लिए बेहद खतरनाक साबित होगी। यह महामारी का रूप भी ले सकती है।
यह जिस भी वायरस या बैक्टीरिया से होगी, उसका संक्रमण कोरोना से भी तेज फैलेगा। इसलिए समय पर इसका पता लगाना जरूरी है। वहीँ, वैज्ञानिकों को अफ्रीकी देश तंजानिया और कॉन्गो गणराज्य के चमगादड़ में नया वायरस मिला है। इसका नाम किविरा वायरस है। यह हंतावायरस का एक प्रकार है। हंतावायरस आमतौर पर चूहों में पाया जाता है जो इनके जरिए इंसानों में फैलता है।
इस ग्रुप के वायरस से संक्रमित मरीज में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। गंभीर मामलों में किडनी भी फेल हो सकती है। किविरा वायरस के संक्रमण का मामला अब तक किसी इंसान में नहीं मिला है। शोधकर्ताओं का कहना है नया वायरस हंतावायरस के समूह से ताल्लुक रखता है।
मरीज की हालत कितनी गंभीर होगी, यह उस वायरस के प्रकार पर निर्भर करता है। जैसे- अमेरिका में फैले हंतावायरस के प्रकार सिन नॉम्ब्रे वायरस से संक्रमित हर 3 में से एक मरीज की मौत हो जाती है। वहीं, प्यूजामाला वायरस के कारण हर 200 में से एक मरीज दम तोड़ देता है।
नए वायरस पर रिसर्च करने वाली बर्लिन के सेंटर फॉर इंटरनेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन की शोधकर्ता डॉ. सबरीना वीस का कहना है, जिन फ्री-टेल्ड चमगादड़ में यह पाया गया है वो सब-सहारा अफ्रीका में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
किविरा वायरस किस हद तक इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, वैज्ञानिक इसका पता लगाने में जुटे हैं। इसमें कोरोना वायरस, इबोला वायरस, मारबर्ग वायरस, लासा बुखार, निपाह वायरस, जीका वायरस और Disease X के नाम भी हैं।
पैथोजन्स ऐसे जीव होते हैं जिनसे बीमारियां जन्म लेती हैं। ये किसी भी पेड़, पौधे, जानवर या सूक्ष्मजीवों को बीमार बना सकते हैं। लॉकडाउन का चीन के कारोबार पर लगातार असर हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन की जीडीपी में 20 फीसदी योगदान देने वाला शंघाई शहर इस वक्त भी लॉकडाउन या सख्त पाबंदियों से गुजर रहा है।
उसके केंद्रीय बैंक भी अगले साल चीन की ग्रोथ को 4.3 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी आंक रहे हैं। ग्रोथ घटने की सबसे बड़ी वजह मुख्य कारोबारी हब शंघाई में दो अप्रैल से लागू हुए दो महीने का लॉकडाउन भी है।