राजनीती घोटाला|News T20: छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटला मामले में ACB ने अब तक पूर्व मंत्री कवासी लखमा, मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर और भतीजे उमेर ढेबर सहित 70 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
वहीं, ED ने 2161 करोड़ रुपए के पूरे घोटले का मास्टर माइंड तीन लोगों को बताया है जिनका नाम A से शुरू होता है। इसे ED ने ट्रिपल A नाम दिया है। ट्रिपल A को डिकोट करने के बाद अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी का नाम सामने आया है। वहीं, ACB ने अपने FIR में पूर्व मंत्री कवासी लखमा को 50 लाख रुपए प्रति माह कमीशन के तौर पर मिलने का जिक्र किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक शामिल तथ्यों पर गौर करें तो ये बात सामने आती है कि नया सिंडिकेट तैयार कर पूर्ववर्ती भूपेश सरकार द्वारा 2161 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप है। ED की चार्जशीट की मानें तो आईएएस सुनील टुटेजा शराब घोटाले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर के बेहद करीबी हैं। इसी का फायदा उठाते हुए इस पूरे मामले को अंजाम दिया गया है। बताया गया कि अरुणपति त्रिपाठी की नियुक्ति CSMCL के MD के तौर पर अनिल टुटेजा की वजह से हुई थी।
ED की चार्जशीट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि घोटाले से जुड़े कैश कलेक्शन का काम अनवर ढेबर किया करता था। अनवर ढेबर ने प्रशासनिक अफसरों में अपने प्रभाव का भरपूर फायदा उठाया और अपने करीबीयों को ऐसे जगह पर नियुक्ति दिलाई जो इस पूरे कारनामे को अंजाम देने में उसका साथ दे सके। कहा गया है कि अनवर ढेबर के पूरे तंत्र को आईएएस विवके ढांढ का संरक्षण प्राप्त था, जिसके बादले काली कमाई का शेयर दिया जाता था। ED की FIR में अनिल टुटेजा के बेटे यश टुटेजा का भी नाम है।
वैसे तो CSMC में अरुणपति त्रिपाठी की नियुक्ति अवैध शराब की बिक्री को रोकने के लिए की गई थी, लेकिन इस दलदल में पहुंचते ही वो भी अरुणपति से लक्ष्मीपति बनने की राह पर निकल पड़े। बताया गया कि शराब तस्करी को रोकने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव कर एजेंसियों से शराब खरीदी कर इसे दुकानों में बेचा जाना तय किया था। लेकिन भूपेश सरकार के कार्यकाल में इसे फिर से बदल दिया गया और शराब सप्लाई का ठेका खास कंपनियों को दे दिया गया।