क्रिसमस की अनोखी परंपरा, 25 दिसंम्बर के दिन चर्च में क्यों चढ़ाई जाती है शराब? जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी!

हर साल 25 दिसंबर को दुनियाभर में क्रिसमस का पर्व बड़े ही उल्लास, श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. यह दिन ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु मसीह (ईसा मसीह) के जन्म का प्रतीक माना जाता है. इस खास मौके पर चर्चों को सजाया जाता है, प्रार्थनाएं होती हैं, भजन गाए जाते हैं और चर्च में शराब चढ़ाई जाती है, जिसे लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठता है- आखिर क्रिसमस में ऐसा क्यों किया जाता है? यह परंपरा सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि इसके पीछे ईसाई धर्म का गहरा ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अर्थ छिपा हुआ है.

बता दें कि, क्रिसमस केवल उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि यह प्रभु यीशु के जीवन, उनके उपदेशों और मानवता के लिए दिए गए बलिदान को याद करने का अवसर भी है. ईसाई मान्यताओं के अनुसार, यीशु मसीह का जन्म मानव जाति को पापों से मुक्ति और प्रेम, क्षमा तथा करुणा का संदेश देने के लिए हुआ था. इसी वजह से इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं होती हैं.

चर्च में शराब चढ़ाने की परंपरा कहां से शुरू हुई?

ईसाई धर्म में शराब चढ़ाने की परंपरा का उल्लेख बाइबल में मिलता है. इसे प्रभु यीशु के जीवन की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना से जोड़ा जाता है, जिसे ‘अंतिम भोज’ (Last Supper) कहा जाता है. ईसा मसीह ने अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले अपने शिष्यों के साथ अंतिम बार भोजन किया था. इसी भोज के दौरान उन्होंने अपने अनुयायियों को रोटी और शराब दी. यीशु ने रोटी को अपने शरीर और शराब को अपने रक्त का प्रतीक बताया. उन्होंने यह संदेश दिया कि उनका बलिदान मानवता के पापों के प्रायश्चित के लिए होगा. यही घटना आगे चलकर ईसाई धर्म की एक केंद्रीय धार्मिक परंपरा बन गई.

यूखारिस्ट या पवित्र भोज क्या है?

चर्च में शराब और रोटी चढ़ाने की परंपरा को ‘यूखारिस्ट’ (Eucharist) या ‘पवित्र भोज’ कहा जाता है. इस धार्मिक अनुष्ठान में रोटी और शराब को प्रतीकात्मक रूप से यीशु मसीह के शरीर और रक्त के रूप में स्वीकार किया जाता है. क्रिसमस के दिन इस परंपरा का और भी ज्यादा महत्व इसलिए होता है क्योंकि यह प्रभु यीशु के जन्म और उनके बलिदान दोनों को एक साथ याद करने का अवसर देता है.

शराब का आध्यात्मिक और धार्मिक अर्थ

ईसाई मान्यताओं में शराब को सिर्फ एक पेय नहीं माना जाता, बल्कि यह बलिदान, पवित्रता, प्रेम और आत्मसमर्पण का प्रतीक है. इसे ग्रहण करना यह दिखाता है कि व्यक्ति यीशु मसीह के बताए मार्ग—प्रेम, सेवा और करुणा को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प ले रहा है.क्रिसमस के दिन शराब चढ़ाने की परंपरा प्रभु यीशु के जन्म के साथ-साथ उनके जीवन उद्देश्य और मानवता के लिए दिए गए त्याग को याद दिलाती है. यह अनुष्ठान ईसाई समुदाय को आध्यात्मिक रूप से एकजुट करता है और उनके विश्वास को और मजबूत करता है.

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