नई दिल्ली जिले के सबसे बड़े राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में जिंदा युवक को मृत बताकर उसका पोस्टमार्टम तक किए जाने की घटना ने चिकित्सकों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। अस्पताल में युवक को बाकायदा भर्ती किया गया, बाद में एक डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया तो दूसरे ने कागजों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तैयार कर दी।

गनीमत रही कि चिता पर आग लगाने से पहले युवक की सांसें चलने लग गई और डॉक्टरों की सारी लापरवाही सामने आ गई। मामले में देर रात जिला कलक्टर रामावतार मीणा की अनुशंसा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ व डॉ. नवनीत मील को निलम्बित कर दिया।

सवाल- पोस्टमार्टम हुआ की नहीं?

घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में रोहितास का पोस्टमार्टम हुआ कि नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ है तो वह जिंदा कैसे हो गया? अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो पोस्मार्टम किया गया, यह कैसे मान लिया गया?

अस्पताल में रात तक इसका जवाब देने से जिम्मेदार बचते रहे। यह भी बताया जा रहा है कि बिना पोस्टमार्टम के ही कह दिया गया हो कि पोस्टमार्टम हो गया, मरीज को ले जाओ। जिस अस्पताल के डॉक्टरों ने युवक मृत माना। अब उसी अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है। मरीज की हालात भी सामान्य बताई जा रही है।

क्या रोहिताश का पोस्टमार्टम हुआ या नही?

घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में रोहिताश का पोस्टमार्टम हुआ कि नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ है तो वह जिंदा कैसे हो गया। अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो पोस्टमार्टम किया गया, यह कैसे मान लिया गया।

यह भी बताया जा रहा है कि बिना पोस्टमार्टम के ही कह दिया गया हो कि पोस्टमार्टम हो गया, मरीज को ले जाओ। जिस अस्पताल के डॉक्टरों ने युवक मृत माना। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट नम्बर 223 के पहले पेज पर 1.50 मिनट पर मौत होना बताया गया है। वहीं नीचे की तरफ अंतिम कॉलम में रिमार्क ऑफ मेडिकल ऑफिसर में डॉक्टर की ओपीनियन लिखी हुई है।

इसमें फेफड़े फेल होना तथा सीओपीडी या टीबी की बीमारी से मौत होना बताया गया है। बीडीके अस्पताल में जिंदा आदमी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. नवनीत ने बनाई थी। झुंझुनूं के मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले विमंदित रोहिताश्व (25) की गुरुवार दोपहर तबीयत बिगड़ के बाद बीडीके अस्पताल लाया गया।

जहां दोपहर करीब डेढ़ बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसे अस्पताल की मोर्चरी के डीप फ्रीज में भी रखवा दिया। सर्दी के मौसम में जिंदा युवक को करीब दो घंटे तक मोर्चरी के डीप फ्रीजर में रखा गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि डीप फ्रीजर में वह कुछ देर और रहता तो क्या हो जाता। यह भी हो सकता है कि डीप फ्रीजर ही खराब हो, इस कारण युवक की जान बची रह गई।

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