नई दिल्ली- 54वीं जीएसटी काउंसिल मीटिंग से एक बड़ा अपडेट सामने आया है. सूत्रों के हवाले से मनीकंट्रोल ने कहा है कि इंश्योरेंस प्रीमियम कम करने पर ‘व्यापक सहमति’ बन गई है. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अंतिम फैसला अगली बैठक लिया जाएगा. यह उत्तराखंड के वित्त मंत्री द्वारा 2,000 रुपये से कम के ऑनलाइन लेनदेन पर जीएसटी लगाने के फैसले को टालने की घोषणा के कुछ घंटों बाद आया है.

इसी मीटिंग में इंश्योरेंस पर जीएसटी घटने की अटकलें थीं, क्योंकि पिछले महीने इन दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए जीएसटी पर पुनर्गठित मंत्रियों के समूह की पहली बैठक के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री और दरों जीएसटी जीओएम के संयोजक सम्राट चौधरी ने कहा था कि स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में दरों में बदलाव के लिए प्रस्ताव आए हैं, और इसकी समीक्षा की जा रही है.

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा था कि उन्होंने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी दर को कम करने का अनुरोध प्रस्तुत किया है. भट्टाचार्य ने कहा, “मैंने जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी कम करने का अनुरोध किया है. मुझे बताया गया है कि फिटमेंट कमेटी इस पर विचार कर रही है.”

अभी तक लागू हैं ये जीएसटी दरें-

  • टर्म पॉलिसी प्रीमियम – 18%
  • यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIP) – 18%
  • राइडर्स (जैसे एक्सीडेंटल डेथ बेनिफिट राइडर) – 18%
  • हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम – 18%

कई शिक्षण संस्थानों को राहत

जीएसटी काउंसिल की बैठक में सोमवार को कई शिक्षण संस्थानों को राहत मिली है. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक काउंसिल ने रिसर्च और ग्रांट्स पर जीएसटी माफ करने का फैसला लिया है. इस फैसले से आईआईटी दिल्ली पंजाब यूनिवर्सिटी सहित कई शैक्षिक संस्थानों को फायदा मिलने की उम्मीद है. दरअसल, जीएसटी विभाग ने 18 फीसदी जीएसटी लगाकर करीब 210 करोड़ का नोटिस आईआईटी दिल्ली, पंजाब यूनिवर्सिटी समेत 7 यूनिवर्सिटी को भेजा था. काउंसिल के इस निर्णय के बाद इन संस्थानों को राहत मिलेगी.

पेमेंट एग्रीगेटर्स पर 18% जीएसटी का फैसला फिटमेंट कमेटी की झोली में

2000 रुपये से कम के लेन-देन पर पेमेंट एग्रीगेटर्स को हुई आय पर 18 फीसदी जीएसटी का मामला अहम माना जा रहा था. अब उत्तराखंड के वित्त मंत्री ने खुलासा किया कि इसे लागू करने के फैसले को स्थगित कर दिया गया है. उन्होंने ने बताया कि अब मामले को आगे की समीक्षा के लिए GST फिटमेंट कमेटी के पास वापस भेजा गया है.

पेमेंट एग्रीगेटर्स ऐसे प्लेटफॉर्म होते हैं, जिनके जरिए ऑनलाइन लेन-देन में सहूलियत हो गई है. ये व्यापारी और ग्राहकों के बीच इंटरमीडियएट की भूमिका निभाते हैं. जैसे कि पाइनलैब्स और रेजरपे जैसे पेमेंट एग्रीगेटर्स दुकानदारों को एक इंटरफेस मुहैया कराते हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट की प्रक्रिया आसान हो जाती है. ये आरबीआई के नियमों के तहत काम करते हैं.

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