गरियाबंद। देवभोग पुलिस ने साइबर सेल की मदद से 4 साल पुराने दहिगांव में हुए हत्या के मामले को सुलझा लिया है। मामले में पुलिस ने दो व्यक्तियों का गिरफ्तार किया है।

26 जून 2020 की रात दहिगांव निवासी 22 वर्षीय मृतक झजकेतन और गांव के ही देवीराम प्रधान उम्र 51 वर्ष के बीच ताड़ी बिक्री की शिकायत को लेकर विवाद हुआ था। विवाद में देवीराम ने झजकेतन के सिर में पत्थर से वार किया था, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई थी। मगर इसे आरोपियों ने हादसे का रूप दे दिया था।

मामले में रविवार को देवभोग थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने बताया कि पुलिस ने देवीसिंह प्रधान उम्र 51 और हेमसिंह रजक उम्र 41 साल के विरूद्ध धारा 302, 201(34) के तहत मामला पंजीबद्ध कर आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजने की तैयारी कर ली है।

शुरुआत में इसे आरोपी और उसके सहयोगी हेमसिंह रजक ने हादसा का रूप दे दिया गया था। देवभोग में सूचना देने के बजाए सीधे ओडिसा के धर्मगढ़ अस्पताल ले जाया गया था। हेमसिंह ने झूठी कहानी बता कर थाने में सूचना दी थी,जिस पर 27 जून 2020 को पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया था।

हैरानी की बात तो है की तत्कालीन डॉक्टर अंजू सोनवानी ने पीएम रिपोर्ट में हत्या की संभावना जाहिर कर बताया था की सिर में वजनदार वस्तु से वार होना उल्लेख किया था। बावजूद इसके तत्कालीन थाना प्रभारी हर्षवर्धन बैस ने साक्ष्य का अभाव दर्शा कर मामले की लीपापोती कर खत्म कर दिया था।

मृतक का पिता फूलचंद रजक ने बताया कि देर से सही अब जाकर मुझे न्याय मिला। मृतक की बेवा और मासूम लड़के के परवरिश का बोझ भी फूलचंद पर है। फूलचंद ने बताया कि हत्या की चर्चा पूरे गांव में थी। लेकिन पुलिस नहीं मान रही थी, मेरे बार बार गुहार के बावजूद मुझे न्याय देने के बजाए थाना प्रभारी मुझे जेल भेजने की धमकी देता था।

जांच में पूर्व में हुए लेन देन की बात भी सामने आई है। किन परिस्थिति में समझौता पत्र बनाया गया उसकी भी जांच की जा रही। खबर है की आरोपियों ने लेन देन की पुष्टि करने के बाद, पुलिस ने उनको भी तलब किया है, जो उस समय लेन देन की भूमिका में शामिल थे। पुलिस थाना तलब कर मामले तत्कालीन अफसर की भूमिका की जांच कर रही है।

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