देश|News T20: स्वतंत्रता के पश्चात सबसे बड़ा आंदोलन राम मंदिर के लिए आरंभ हुआ। इस आंदोलन में 2 नवंबर 1990 का दिन इतिहास का एक अध्याय बन गया। इस दिन विवादित ढांचे पर भगवा फहराने वाले दो भाई दिगंबर अखाड़े से हनुमानगढ़ी की ओर जाते समय लाल कोठी के पास पुलिस की गोली का शिकार हो गए। शिकार होने वाले दोनों कोठारी बंधु ही थे, जिन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया था।
राम मंदिर आंदोलन में कोठारी बंधु अप्रतिम और सर्वोच्च बलिदान से सदा-सदा के लिए अमर हो गए। वर्ष 1990 में कोलकाता निवासी सगे भाई 22 वर्षीय राम कोठारी व 20 साल के शरद कोठारी ने भागीदारी का निर्णय लिया था।
उसी वर्ष आठ दिसंबर को उनकी बहन पूर्णिमा कोठारी का विवाह था। उस समय परिजनों ने कहा था कि राम और शरद में से कोई एक आंदोलन में जाए और दूसरा विवाह की तैयारियां देखे।
राम नाम में रमे दोनों भाइयों ने अयोध्या आने का निर्णय लिया और विवादित ढांचे पर सबसे पहले 30 अक्टूबर को भगवा ध्वज फहराया। दो नवंबर 1990 को हुए गोलीकांड में दोनों भाई बलिदान हो गए। उनकी बहन पूर्णिमा कोठारी कहती हैं कि राम मंदिर का निर्माण मेरे दोनों भाइयों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।
कोठारी बंधुओं के साथ विवादित ढांचे पर चढ़े थे कुलदीप
बाल्यावस्था से राम में रमे पूरा बाजार ब्लाक के दामोदरपुर गांव निवासी कुलदीप पांडेय उन चुनिंदा लोगों में हैं, जो 30 अक्टूबर 1990 को विवादित ढांचे पर चढ़े थे। कोठारी बंधुओं के साथ उन्होंने विवादित ढांचे पर भगवा ध्वज फहराया था।
उस वक्त कुलदीप मात्र 17 वर्ष थे और विहिप के दिग्गज नेता दिवंगत अशोक सिंघल के नेतृत्व में कारसेवा करने गए थे। अब उनकी आयु करीब 50 वर्ष है, लेकिन कारसेवा की चर्चा करते समय उनके चेहरे की चमक युवा कुलदीप की भांति हो जाती है।
इसके बाद छह दिसंबर 1992 को उन्होंने फायर ब्रांड नेता रहे विनय कटियार के नेतृत्व में कारसेवा की थी और उसी वर्ष विवादित ढांचा भी ढह गया था।
कोठारी बंधुओं के निधन की बात करते समय उनका गला रूँध जाता है। कहते हैं, कोठारी बंधुओं का योगदान कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। कुलदीप को दिग्गज नेता अशोक सिंघल ने गुलाब बाड़ी मैदान पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित भी किया था।