चूरू.थार के प्रवेश द्वार के नाम से मशहूर चूरू अपनी कला और अपनी गगनचुंबी हवेलियों के लिए काफी मशहूर है. पहली नजर में ही किसी को भी सम्मोहित करने वाली यहां की हवेलियां आज विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है. यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि चूरू का कोई शाही इतिहास नहीं है. ये हवेलियां अमीर और समृद्ध व्यापारियों के घर थे, जो यहां रहते थे. हवेलियों में पेंटिंग मालिक की जीवन शैली का प्रतिबिंब है, या उस समय के फैशन का चित्रण है जैसे कार या ट्रेन में यात्रा करना.
बेजोड़ स्थापत्य कला का नायाब उदाहरण प्रस्तुत करती इन हवेलियों पर उकेरे ये चित्र जैसे इन्हें आज ही चित्रित किया गया हो. हवेलियों के दरवाजे भी जटिल रूप से डिजाइन किए गए हैं और इन्हें निहारने में आप पूरा दिन बिता सकते हैं. ऐसी ही एक हवेली है मालजी का कमरा जिसका निर्माण सेठ मालचंद कोठारी ने अपने मनोरंजन के लिए सन 1925 में करवाया था. करीब 100 वर्ष पुरानी इस हवेली के निर्माण में चूने का उपयोग हुआ है, इसकी छत ढोले की है. इसमें इटालियन कलाकारी, भित्ति चित्र और नक्काशी इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है और आज देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है. वर्तमान में इस हवेली में जिले का पहला हैरिटेज होटल संचालित हो रहा है जहां देशी और विदेशी पर्यटक लग्जरी सुविधाओं का लुत्फ उठा सकते हैं.
सेठ जी मनोरंजन के लिए आते थे यहां
गाइड लालसिंह बताते है कि इस हवेली का निर्माण सेठ मालचंद कोठारी ने अपने मनोरंजन के लिए करवाया था. जहां वह अपने शाही यार, दोस्तो के साथ समय बिताते थे. मालजी के कमरे के नाम से मशहूर इस हवेली के बीच मे एक चौक और उसके चारों और दर्शक दीर्घा और ऊपर भी दर्शक दीर्घा के लिए कमरों के बाहर एक छोटी गैलेरी है. वर्तमान में यह हवेली सेल होने के बाद एक व्यवसायिक उपयोग में ली जा रही है वर्षो पुरानी इस हवेली का नाम आज बदलकर होटल मालजी कर दिया गया है. जिसमें 12 रूम विथ ऐसी एक हॉल और आगे एक गार्डन है.
बेजोड़ स्थापत्य कला का नायाब उदाहरण प्रस्तुत करती इन हवेलियों पर उकेरे ये चित्र जैसे इन्हें आज ही चित्रित किया गया हो. हवेलियों के दरवाजे भी जटिल रूप से डिजाइन किए गए हैं और इन्हें निहारने में आप पूरा दिन बिता सकते हैं. ऐसी ही एक हवेली है मालजी का कमरा जिसका निर्माण सेठ मालचंद कोठारी ने अपने मनोरंजन के लिए सन 1925 में करवाया था. करीब 100 वर्ष पुरानी इस हवेली के निर्माण में चूने का उपयोग हुआ है, इसकी छत ढोले की है. इसमें इटालियन कलाकारी, भित्ति चित्र और नक्काशी इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है और आज देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है. वर्तमान में इस हवेली में जिले का पहला हैरिटेज होटल संचालित हो रहा है जहां देशी और विदेशी पर्यटक लग्जरी सुविधाओं का लुत्फ उठा सकते हैं.
सेठ जी मनोरंजन के लिए आते थे यहां
गाइड लालसिंह बताते है कि इस हवेली का निर्माण सेठ मालचंद कोठारी ने अपने मनोरंजन के लिए करवाया था. जहां वह अपने शाही यार, दोस्तो के साथ समय बिताते थे. मालजी के कमरे के नाम से मशहूर इस हवेली के बीच मे एक चौक और उसके चारों और दर्शक दीर्घा और ऊपर भी दर्शक दीर्घा के लिए कमरों के बाहर एक छोटी गैलेरी है. वर्तमान में यह हवेली सेल होने के बाद एक व्यवसायिक उपयोग में ली जा रही है वर्षो पुरानी इस हवेली का नाम आज बदलकर होटल मालजी कर दिया गया है. जिसमें 12 रूम विथ ऐसी एक हॉल और आगे एक गार्डन है.