भिलाई [न्यूज़ टी 20] नई दिल्ली: दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में तीनों नगर निगमों की ओर से बीते दिनों चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियानों को लेकर अब दिल्ली सरकार और एमसीडी आमने सामने है.
बुलडोजर विवाद के बीच दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने एमसीडी से अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाने को लेकर रिपोर्ट तलब की है. दिल्ली सरकार ने एमसीडी से 1 अप्रैल से लेकर अब तक का सारा डेटा देने को कहा है.
बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने तीनों एमसीडी से अतिक्रमण हटाओ अभियान के सिलसिले में बुलडोजर चलाने को लेकर रिपोर्ट मांगी है. दरअसल, शाहीन बाग, जहांगीरपुरी मदनपुर खादर,
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, मंगोलपुरी, रोहिणी, गोकुलपुरी, लोधी कॉलोनी, जनकपुरी सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में तीनों नगर निकायों द्वारा कई अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाए जाने के कुछ दिनों बाद यह बात सामने आई है.
बता दें कि शुरू से ही आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आवाज बुलंद करती रही है. खुद अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह अतिक्रमण के खिलाफ हैं, मगर वह एमसीडी के एक्शन के तरीकों से खुश नहीं हैं.
दरअसल, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बीते महीने से ही अतिक्रमण के खिलाफ एक्शन जारी है. जहांगीरपुरी से बुलडोजर के एक्शन का शुरू हुआ सिलसिला शाहीनबाग, मंगोलपुरी समेत नजफगढ़ तक जा पहुंचा.
एमसीडी ने दावा किया कि उसने अवैध कब्जों और अतिक्रमणों पर बुलडोजर चलाया. तीनों एमसीडी ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र में खूब बुलडोजर चलवाए और अवैध कब्जों और अतिक्रमण के खिलाफ एक्शन लिया.
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को दावा किया था कि शहर में कई इलाकों में चलाए जा रहे अतिक्रमण रोधी अभियान से 63 लाख लोग बेघर हो जाएंगे और यह आजाद भारत की ‘सबसे बड़ी तबाही’ होगी.
अरविंद केजरीवाल ने भाजपा शासित नगर निगमों के कार्यकाल के एक दम अंत में इतने बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने को लेकर उनकी नैतिकता, संवैधानिकता और कानूनी अधिकार पर सवाल उठाए.
अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली का विकास योजनाबद्ध शहर के तौर पर नहीं किया गया है. दिल्ली के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से को अवैध तथा अतिक्रमित कहा जा सकता है। इसका मतलब क्या आप 80 प्रतिशत दिल्ली को तबाह कर देंगे?
केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों के साथ इस मुद्दे पर बैठक के बाद ऑनलाइन माध्यम से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मांग की थी कि नगर निगमों के टाल दिए गए चुनावों को अभी कराया जाए ताकि चुनाव के बाद गठित होने वाला नया निगम मामले पर फैसला कर सके.